ज्योतिष्मती | महादेवी वर्मा हिंदी कविता

नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने हिंदी कविता (Hindi Poetry) ज्योतिष्मती लेकर आया हूँ और इस कविता को महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) जी ने लिखा है.

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ज्योतिष्मती - महादेवी वर्मा हिंदी कविता
ज्योतिष्मती – महादेवी वर्मा हिंदी कविता | Source: Pixabay

ज्योतिष्मती – महादेवी वर्मा हिंदी कविता

आ रही उषा ज्योति:स्मित!
प्रज्जवलित अग्नि है लहराती आभा सित.

सब द्विपद चतुष्पद प्राणि जगत है चंचल,
सविता ने सब को दिया कर्म का सम्बल,
नव रश्मिमाल से भूमण्डल-परिवेषित!
आ रही उषा ज्योति:स्मित!

जो ऋत् की पालक मानव-युग-निर्मायक,
जो विगत उषायों के समान सुखदायक,
भावी अरुणायों में प्रथमा उदृभासित!
आ रही उषा ज्योति:स्मित!

आलोकदुकूलिनि स्वर्ग-कन्याका नूतन,
पूर्वायन-शोभी उदित हुई उज्ज्वलतन,
व्रतवती निरन्तर दिग् दिगंत से परिचित!
आ रही उषा ज्योति:स्मित!

उसके हित कोयी उन्नत है न अवर है,
आलोकदान में निज है और न पर है,
विस्तृत उज्ज्वलता सब की, सब से परिचित!
आ रही उषा ज्योति:स्मित!

रक्ताभ श्वेत अश्वों को जोते रथ में,
प्राची की तन्वी आई नभ के पथ में,
गृह गृह पावक, पग पग किरणों से रंजित!
आ रही उषा ज्योति:स्मित!

Conclusion

तो उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारा यह हिंदी कविता ज्योतिष्मती अच्छा लगा होगा जिसे महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) जी ने लिखा है. आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें आप Facebook Page, Linkedin, Instagram, और Twitter पर follow कर सकते हैं जहाँ से आपको नए पोस्ट के बारे में पता सबसे पहले चलेगा. हमारे साथ बने रहने के लिए आपका धन्यावाद. जय हिन्द.

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