सौतेली माँ – हिंदी कहानी

सौतेली माँ – हिंदी कहानी: नमस्कार दोस्तों आज मैं आपके सामने एक हिंदी कहानी फिर से लेकर आगया हूँ जिसका नाम है: सौतेली माँ. आशा करता हूँ कि आप लोगों को यह कहानी बहुत पसंद आयेगी. इसी तरह के और भी हिंदी कहानियां पढने के लिए यहाँ क्लिक करें. (Click Here)

सौतेली माँ - हिंदी कहानी
सौतेली माँ – हिंदी कहानी | Source: Pixabay

सौतेली माँ – हिंदी कहानी

किसी राज में एक राजा और एक रानी राज करते थे. उनके पास एक बेटा और एक बेटी थी. लोग प्यार से लड़के को राजकुमार और लड़की को राजकुमारी कहा करते थे. 

एक दिन अचानक किसी कारणवश रानी की मृत्यु हो गई. राज्य के प्रजा बहुत दुःखी थे. अब राजकुमार और राजकुमारी अकेला पड़ गए. कुछ दिन बितने पर राजा ने दूसरी शादी करने का फैसला किया. राज दरबारियों ने राजा को दूसरी शादी करने से मना किया, परन्तु राजा ने दरबारियों की एक भी न सुनी. 

अगले दिन राजा ने दूसरी शादी कर ली. दूसरी शादी करते ही दोनों भाई बहन और अकेलेपन को महसूस करने लगा. राजा नई रानी की प्यार में लीन हो गया. राजा के पास चौदह जोड़ा गाय थी. उसमें से एक धेनु था. नयकी रानी को एक साल बाद एक लड़का पैदा हुआ. 

नयकी रानी को अपने बेटे से प्यार सौत के बेटे-बेटी से नफरत होने लगा. अपने बेटे को सदा प्यार करती और सौत के बेटे को सदा फटकारती रहती. अपने बेटे को दूध-मलाई खिलाती सौत के बेटे को सदा फटकारती रहती. अपने बेटे को दूध-मलाई खिलाती और उसको खुद्दी-चुन्नही का रोटी खिलाती. राजकुमार खुद्दी-चुन्नी को लेकर धेनु गाय को खिला देता था, बदले में धेनु गाय भर पेट पिला देती थी.

कुछ दिन बाद मन-ही-मन रानी सोचने लगी-मैं अपने बेटे को दाल-भात, दूध मलीदा, खिलाती हूं फिर भी स्वास्थ्य ठीक नहीं है और उसको खुद्दी-चुन्नी खिलाती हूं फिर भी उसका स्वास्थ्य बहुत अच्छा है. इसी प्रकार नफरत की दुनियां में कई साल बीत गया.

एक दिन की बात है. धेनु गाय राजकुमार से बोली-राजकुमार! जब से तुम्हारी मां मर गई तब से मेरा खाना-पीना दुस्वार हो गया. नयकी रानी तो कभी भी आत्मा से खाना नहीं देती है. 

यदि मैं आज तक इस खूटे पर रहा तो सिर्फ तेरे खातिर. अब तुम्हारा दुःख मुझसे देखा नहीं जाता. आओ, मेरे पीठ पर सवार हो जाओ. मैं तुम्हें आकाश में ले जाकर एक गुप्त बात बताऊंगी, जो हर-हमेशा तेरा काम आएगा. 

राजकुमार ने ऐसा ही किया. धेनु गाय आकाश में उड़ गई. ऊपर जाकर धेनु गाय बोली-राजकुमारी! तुम्हें जब भी किसी चीज की दिक्कत हो या कोई संकट आ जाए तो मेरा नाम ले लेना. 

मैं तुम्हारे खातिर और तेरी माँ के खातिर सदा तुम्हारे साथ रहूंगी. जब भी संकट आए याद कर लेना-जय मां. बूढ़ी गाय जो चाहोगे तुम्हारा काम बन जाएगा. इतना कहकर धेनु गाय स्वर्गलोक चली. गई और राजकुमार पुनः पृथ्वी पर आ खड़ा हुआ.

अब इस कहानी को थोड़ी देर के लिए यहीं छोड़ता हूं, आगे की कहानी सुनिये ! एक दिन राजकुमार नदी में स्नान करने गया. नदी की बीच धारा में एक बक्सा उपलाकर बहती जा रही थी. 

राजकुमार ने उसे पकड़कर किनारे पर लाया और बक्से को खोला. बक्से को ज्यों खोला, उसमें से एक लम्बा-तगड़ा राक्षस निकला और लड़ने के लिए ताल ठोकने लगा. 

राजकुमार ने उसे काफी समझाया पर एक न मानी. अन्त में राजकुमार ने धेनु गाय हो याद किया-जब माँ बूढ़ी गाय. राजकुमार में अचूक शक्ति आ गई. राजकुमार ने राक्षस से हाथ मिलाया और नदी के पाट पर उठा उठाकर धोबिया पाट पटकने लगा. 

दो-चार-दस पटकर जब खींचकर दिया तब राक्षस हाथ जोड़ने लगा-मुझे माफ कर दो राजकुमार. अब ऐसी गलती कभी नहीं करूंगा. राजकुमार ने छोड़ दिया. पुनः उसे बक्सा में बन्द करके नदी की धारा में छोड़ दिया. 

दूसरे दिन राजकुमारी दूसरे घाट पर स्नान करने के लिए पहुंची उसी प्रकार बक्सा को आते देखी और बक्सवे को पकड़कर लाई. जब बक्से को खोली तो उसमें से राक्षस निकला. जब राक्षस ने राजकुमारी को देखा तो प्रेम विभोर हो गया. अब राजकुमारी को डराने-धमकाने लगा. 

तुम्हें मुझसे प्रेम करना होगा. अन्यथा मैं तुम्हें जान से मार डालूंगा. राजकुमारी बोली-मेरा भाई जब जानेगा कि मैं तुमसे प्रेगम करती हूं तो वह मुझे जिन्दा नहीं छोड़ेगा. 

तब राक्षस बोला-मैं तुम्हें एक उपाय बताता हूं. ऐसा करने से तुम्हारा भाई मर जाएगा. फिर हम तुम प्रेम की दुनियां में मौज मनाएंगे. राजकुमारी राजी हो गई. 

तब राक्षस ने उपाय बताया-तुम्हारा भाई तुमसे बहुत प्यार करता है. तुम जो कहोगी वह अवश्य करेगा. उसे कहना जंगल में से बाघिन का एक बूंद दूध ला दीजिए. वह ज्योंही दूध लाने जाएगा, उसे जंगली जानवर मारकर खा जाएगा. 

राजकुमारी ने घर जाकर अपने भाई से ऐसा ही करने को कही. राजकुमार सोचा-बहन को कोई आवश्यकता पड़ गई होगी. इसीलिए दूध लाने को कहती है. राजकुमार दूध लाने के लिए जंगल की ओर चल पड़ा. जब वह जंगल में पहुंचा तो देखा कि बाघ-बाघिन का बच्चा मांद पर खेल रहा है. 

एक हिंसक जानवर बाघिन के बच्चे को मारने के लिए दौड़ा आ रहा था. तभी राजकुमार ने बाघिन के बच्चे को लेकर एक पेड़ पर चढ़ गया. बहुत देर बाद जब बाघ-बाघिन पहुंची तो अपने बच्चे को न देखकर घबरायी. 

जब बाघिन की नजर पेड़ पर पड़ी तो एकाएक राजकमार पर टूट पडकी. परन्तु बाघिन के बच्चे ने कहा-इसे मत मारो. इसी ने आज हमारा जान बचाया वरना एक जानवर मुझे मार डालता. ये बात सुनकर बाघ-बाघिन बड़ी खुश हुई. 

बाघिन बोली-राजकुमार ! नीचे उतरो और तुम्हें जो चाहिए मांग लो. राज कुमार ने एक बूंद दूध मांगा. तब बाघिन ने खुश होकर एक बूंद के बदले एक बालटी दूध दिया. जब राजकुमार जाने लगा तब बाघ बोला-रूक जाओ राजकुमार हम सब भी तुम्हारे साथ चलेंगे. 

ऐसा कहकर बाघ-बाघिन तथा बच्चे से-के-सब राजकुमार के साथ चल दिया. जब राजकुमारी ने एक बूंद दूध के बदले एक बाल्टी दूध और साथ में बाघ बाघिन देखी तो दांतों तले अंगुली दबा गई. दौड़ी-दौड़ी नदी किनारे पहुंची. 

जब राक्षस ने सारा कहानी सुना तो उसका अक्ल फीका पड़ गया. फिर भी अपने समझ में एक और जानलेवा तरकीब निकाली. राक्षस ने राजकुमारी को बताया-आज अपने भाई से कहना कि उसी जंगल में से एक गूलर का फूल दो. 

राजकुमारी घर गई और अपने भाई से बताई कि मुझे गूलर का एक फूल चाहिए. भाई जंगल जाने को तैयार हो गया. 

अब गूलर पेड़ की कहानी सुनिये. इस गूलर पर सात जोड़ा चुडैल रहती थी. जो कोई गूलर को छूता उसकी मौत निश्चित थी. राजकुमार पेड़ के निकट पहुंचा. ज्योंही पेड़ पर चढ़ने लगा कि चुडैलों ने हरहोड़ मचाना शुरू कर दिया. सब-के-सब राजकुमार को मारने के लिए हाथ-पैर खीचने लगा. 

राजकुमार का अक्ल गुम हो रहा था. अंत मं उसे बूढ़ी गाय का नाम याद आया- जय माँ बूढ़ी गाय. इतना कहते ही राजकुमार में अचूक बल उत्पन्न हुआ. तब राजकुमार सभी चुडैलों को बाल पकड़-पकड़कर पेड़ की डाल पर पटकने लगा. 

तब चुडैल बोली-मुझे माफ कर दो राजकुमार. तुम्हें जो चाहिए मांग लो. तब राजकुमार ने एक गूलर की बात कही. लेकिन एक गूलर को कौन कहे सभी चुडैल मिलकर बोली-राजकुमार. तुम्हें एक गूलर तो क्या? मैं समूचे पेड़ उठाए चलती हूं. 

ऐसा कहकर सभी चुडैल ने गूलर का समूचे पेड़ ही उठा लिया और घर तक पहुंचा दिया. जब राजकुमारी देखी तो दौड़ी-दौड़ी नदी किनारे पहुंच गई. राक्षस को सारी कहानी सुनाई. राक्षस आश्चर्य में पड़ गया. फिर भी अन्त में एक अन्तिम अचूक जानलेवा उपाय बताया-कार्तिक का महीना था. अपने भाई से कहना गेहूँ का एक बाल ला दे. बहन गई और भाई बोली-भैया! एक सामान और ला दीजिए. मुझे गेहूँ का एक बाल ला दीजिए. 

कार्तिक का महीना था. बीस कट्ठा में एक गेहूँ का खेत था. यह खेत परी का था. खेत से इस प्लौट में एक कुंआ था. इसी कुएं में सातों परी रहती थीं. यदि कोई भी व्यक्ति बाल को छूता तो सभी परी मिलकर उसे मार डालती. राजकुमार खेत में ज्यों ही पहुंचा त्योंही सातों परी निकलकर कुंए पर खड़ी हो गई. राजकुमार ने एक बाल को तोड़ा. 

सातों परी राजकुमकार को तंग करने लगीं. तब राजकुमार ने बूढ़ी गाय का नाम लिया और सातों परी को उठ-उठाकर कुएं पर पटकने लगा. अन्त में सातों परी हाथ जोड़कर खड़ी हो गई -मुझे माफ कर दो राजकुमार. मैं गेहूं के पूरे खते को ही उठाये चलती हूं. 

सबों ने मिलकर पूरे खेत को ही उठा ली और राजकुमार के साथ चल दी. फिर राजकुमारी देखी और दरवाजे के पिछले गली से निकलकर नदी की ओर दौड़ गई. इस बार राजकुमार को शक हुआ कि आखिर कौन सी बात है कि हर मांग में खतरा-ही-खतरा है. ऐसा सोचकर बहन के पीछे-पीछे गया. 

राजकुमार देखा-उसकी बहन उसी राक्षस से बात-चीत कर रही है. तभी राजकुमार उसके निकट पहुंचा. राजकुमार बहन के सारे कारनामें को समझ गया. राजकुमार ने बुढ़ी गाय का नाम लिया. हाथ में एक तलवार आ गया. उसी तलवार से बहन और राक्षस को दो-दो टूक कर दिया और उसी बक्से में बन्द करके बीच धारा में छोड़ दिया. 

अब राजकुमार अपने राज्य को लौटा. देखा पिताजी अंधे हो गये हैं. माता को कुष्ठ हो गया है. भाई का स्वास्थ्य एकदम अधमरा सा हो गया. तब राजकुमार ने अपने हाथ से भात-दाल बनाया और माता-पिता भाई को अपने हाथ से खिलाया. 

ज्यों-ज्यों भात-दाल को सबों ने खाया त्यों-त्यों सबका रोग ठीक होता चला गया. अन्त में सब-के-सब निरोग हो गये. अब राजकुमार ने बूढ़ी गाय का नाम लिया तो तीन मंजिल की बेमिसाल मकान बन गया. उसी मकान में प्रेम से सब कोई रहने लगा.

Conclusion

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