उषा – महादेवी वर्मा हिंदी कविता

नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने हिंदी कविता (Hindi Poetry) उषा लेकर आया हूँ और इस कविता को महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) जी ने लिखा है.

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उषा - महादेवी वर्मा हिंदी कविता
उषा – महादेवी वर्मा हिंदी कविता

उषा – महादेवी वर्मा हिंदी कविता

दिवजाता शुभ्राम्बर-विलसित,
नूतन, आभा से उद्भासित,
भू-सुषमा की एक स्वामिनी
शोभन आलोकित विहान दे.

अरुण किरण के वाजि चन्द्र-रथ-
ले करती जा पार क्रान्ति-पथ,
निशि-तम-हारिणि हे विभावरी
हमें यजन गौरव महान दे.

सुगम तुझे गति है अचलों पर,
सुतर शान्त लहरों का सागर,
निश्चित क्रम विस्तृत पथ-चारिणि,
स्वत: दीप्त तू हमें मान दे.

दिन दिन नव नव छबि में आकर,
गृह गृह में आलोक बिछाकर,
ज्योतिष्मती प्रात की बेला,
ऐश्वर्यों में श्रेष्ठ दान दे.

जन न ठहरते पथ में पग धर,
खग न रुके नीड़ों में पल भर,
जिसका उदय वलोक-वही
अरुणा अब हमको सजग प्राण दे.

जागे द्विपद चतुष्पद आकुल,
दिग्दिगन्तचारी पुलकाकुल,
जिसका आगम देख उषा वह
कर्म-पन्थ सबको समान दे.

Conclusion

तो उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारा यह हिंदी कविता उषा अच्छा लगा होगा जिसे महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) जी ने लिखा है. आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें आप Facebook Page, Linkedin, Instagram, और Twitter पर follow कर सकते हैं जहाँ से आपको नए पोस्ट के बारे में पता सबसे पहले चलेगा. हमारे साथ बने रहने के लिए आपका धन्यावाद. जय हिन्द.

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