स्वप्न था मेरा भयंकर | गीत मेरे | आ रही रवि की सवारी | हरिवंशराय बच्चन | हिंदी कविता

नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने तीन हिंदी कवितायें (Hindi Poems) “स्वप्न था मेरा भयंकर”, “गीत मेरे” और “आ रही रवि की सवारी” लेकर आया हूँ और इन तीनो कविताओं को हरिवंशराय बच्चन (Harivansh Rai Bachchan) जी ने लिखा है. 

आशा करता हूँ कि आपलोगों को यह कविता पसंद आएगी. अगर आपको और हिंदी कवितायेँ पढने का मन है तो आप यहाँ क्लिक कर सकते हैं (यहाँ क्लिक करें).

स्वप्न था मेरा भयंकर | गीत मेरे | आ रही रवि की सवारी | हरिवंशराय बच्चन | हिंदी कविता
स्वप्न था मेरा भयंकर | गीत मेरे | आ रही रवि की सवारी | हरिवंशराय बच्चन | हिंदी कविता

स्वप्न था मेरा भयंकर – हरिवंशराय बच्चन – हिंदी कविता

स्वप्न था मेरा भयंकर!

रात का-सा था अंधेरा,
बादलों का था न डेरा,
किन्तु फिर भी चन्द्र-तारों से हुआ था हीन अम्बर!
स्वप्न था मेरा भयंकर!

क्षीण सरिता बह रही थी,
कूल से यह कह रही थी-
शीघ्र ही मैं सूखने को, भेंट ले मुझको हृदय भर!
स्वप्न था मेरा भयंकर!

धार से कुछ फासले पर
सिर कफ़न की ओढ चादर
एक मुर्दा गा रहा था बैठकर जलती चिता पर!
स्वप्न था मेरा भयंकर!

गीत मेरे – हरिवंशराय बच्चन – हिंदी कविता

गीत मेरे, देहरी का दीप-सा बन.

एक दुनिया है हृदय में, मानता हूँ,
वह घिरी तम से, इसे भी जानता हूँ,
छा रहा है किंतु बाहर भी तिमिर-घन,
गीत मेरे, देहरी का द‍ीप-सा बन.

प्राण की लौ से तुझे जिस काल बारुँ,
और अपने कंठ पर तुझको सँवारूँ,
कह उठे संसार, आया ज्‍योति का क्षण,
गीत मेरे, देहरी का द‍ीप-सा बन.

दूर कर मुझमें भरी तू कालिमा जब,
फैल जाए विश्‍व में भी लालिमा तब,
जानता सीमा नहीं है अग्नि का कण,
गीत मेरे, देहरी का द‍ीप-सा बन.

जग विभामय न तो काली रात मेरी,
मैं विभामय तो नहीं जगती अँधेरी,
यह रहे विश्‍वास मेरा यह रहे प्रण,
गीत मेरे, देहरी का द‍ीप-सा बन.

आ रही रवि की सवारी – हरिवंशराय बच्चन – हिंदी कविता

आ रही रवि की सवारी.

नव-किरण का रथ सजा है,
कलि-कुसुम से पथ सजा है,
बादलों-से अनुचरों ने स्‍वर्ण की पोशाक धारी.
आ रही रवि की सवारी.

विहग, बंदी और चारण,
गा रही है कीर्ति-गायन,
छोड़कर मैदान भागी, तारकों की फ़ौज सारी.
आ रही रवि की सवारी.

चाहता, उछलूँ विजय कह,
पर ठिठकता देखकर यह-
रात का राजा खड़ा है, राह में बनकर भिखारी.
आ रही रवि की सवारी.

Conclusion

तो उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारा यह हिंदी कविता “स्वप्न था मेरा भयंकर”, “गीत मेरे” और “आ रही रवि की सवारी” अच्छा लगा होगा जिसे हरिवंशराय बच्चन (Harivansh Rai Bachchan) जी ने लिखा है. आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें आप Facebook Page, Linkedin, Instagram, और Twitter पर follow कर सकते हैं जहाँ से आपको नए पोस्ट के बारे में पता सबसे पहले चलेगा. हमारे साथ बने रहने के लिए आपका धन्यावाद. जय हिन्द.

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Pixabay: [1]

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