अपूर्व अनुभव हिंदी कहानी

अपूर्व अनुभव हिंदी कहानी: नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने एक बहुत ही अच्छा हिंदी कहानी लेकर आया हूँ. जिसका नाम है “अपूर्व अनुभव“. इस कहानी को तेत्सुको कुरियानागी ने लिखा है और इसका हिंदी में अनुवाद पूर्वा याज्ञिक कुशवाहा ने किया है. तो उम्मीद करता हूँ कि ये हिंदी कहानी भी आपको पढने में अच्छा लगेगा.

तो इसी के साथ शुरू करते हैं आज का पोस्ट जिसका नाम है – अपूर्व अनुभव.

Also Read: अपूर्व अनुभव हिंदी कहानी

अपूर्व अनुभव हिंदी कहानी
अपूर्व अनुभव हिंदी कहानी

अपूर्व अनुभव हिंदी कहानी

सभागार में शिविर लगने के दो दिन बाद तोत्तो-चान के लिए एक बड़ा साहस करने का दिन आया. इस दिन उसे यासुकी-चान से मिलना था. इस भेद का पता न तो तोत्तो-चान के माता-पिता को था, न ही यासुकी – चान के. उसने यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ने का न्योता दिया था. 

तोमोए में हरेक बच्चा बाग के एक-एक पेड़ को अपने खुद के चढ़ने का पेड़ मानता था. तोत्तो-चान का पेड़ मैदान के बाहरी हिस्से में कुहोन्बुत्सु जानेवाली सड़क के पास था.

बड़ा सा पेड़ था उसका, चढ़ने जाओ तो पैर फिसल-फिसल जाते. पर, ठीक से चढ़ने पर ज़मीन से कोई छह फुट की ऊँचाई पर एक द्विशाखा तक पहुँचा जा सकता था.

अपूर्व अनुभव हिंदी कहानी

बिलकुल किसी झूले सी आरामदेह जगह थी यह. तोत्तो-चान अकसर खाने की छुट्टी के समय या स्कूल के बाद ऊपर चढ़ी मिलती. वहाँ से वह सामने दूर तक ऊपर आकाश को या नीचे सड़क पर चलते लोगों को देखा करती थी.

अपूर्व अनुभव हिंदी कहानी
अपूर्व अनुभव हिंदी कहानी

बच्चे अपने-अपने पेड़ को निजी संपत्ति मानते थे. किसी दूसरे के पेड़ पर चढ़ना हो तो उससे पहले पूरी शिष्टता से, “माफ़ कीजिए, क्या मैं अंदर आ जाऊँ?” पूछना पड़ता था.

यासुकी-चान को पोलियो था, इसलिए वह न तो किसी पेड़ पर चढ़ पाता था और न किसी पेड़ को निजी संपत्ति मानता था. अतः तोत्तो-चान ने उसे अपने पेड़ पर आमंत्रित किया था. पर यह बात उन्होंने किसी से नहीं कही, क्योंकि अगर बड़े सुनते तो ज़रूर डाँटते.

घर से निकलते समय तोत्तो-चान ने माँ से कहा कि वह यासुकी-चान के घर डेनेनचोफु जा रही है. चूंकि वह झूठ बोल रही थी, इसलिए उसने माँ की आँखों में नहीं झाँका. वह अपनी नज़रें जूतों के फीतों पर ही गड़ाए रही.

रॉकी उसके पीछे-पीछे स्टेशन तक आया. जाने से पहले उसे सच बताए बिना तोत्तो-चान से रहा नहीं गया.

“मैं यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ने देनेवाली हूँ”, उसने बताया.

जब तोत्तो-चान स्कूल पहुँची तो रेल-पास उसके गले के आसपास हवा में उड़ रहा था. यासुकी-चान उसे मैदान में क्यारियों के पास मिला. गरमी की छुट्टियों के कारण सब सूना पड़ा था. यासुकी-चान उससे कुल जमा एक ही वर्ष बड़ा था, पर तोत्तो-चान को वह अपने से बहुत बड़ा लगता था.

Also Read:

अपूर्व अनुभव हिंदी कहानी

जैसे ही यासुकी-चान ने तोत्तो-चान को देखा, वह पैर घसीटता हुआ उसकी ओर बढ़ा. उसके हाथ अपनी चाल को स्थिर करने के लिए दोनों ओर फैले हुए थे. तोत्तो-चान उत्तेजित थी. वे दोनों आज कुछ ऐसा करनेवाले थे जिसका भेद किसी को भी पता न था. वह उल्लास में ठिठियाकर हँसने लगी. यासुकी-चान भी हँसने लगा.

तोत्तो-चान यासुकी-चान को अपने पेड़ की ओर ले गई और उसके बाद वह तुरंत चौकीदार के छप्पर की ओर भागी, जैसा उसने रात को ही तय कर लिया था. वहाँ से वह एक सीढ़ी घसीटती हुई लाई. उसे तने के सहारे ऐसे लगाया, जिससे वह द्विशाखा तक पहुँच जाए. वह कुरसी से ऊपर चढ़ी और सीढ़ी के किनारे को पकड़ लिया. तब उसने पुकारा, “ठीक है, अब ऊपर चढ़ने की कोशिश करो.” 

अपूर्व-अनुभव-हिंदी-कहानी
अपूर्व-अनुभव-हिंदी-कहानी

यासुकी-चान के हाथ-पैर इतने कमज़ोर थे कि वह पहली सीढ़ी पर भी बिना सहारे के चढ़ नहीं पाया. इस पर तोत्तो-चान नीचे उतर आई और यासुकी-चान को पीछे से धकियाने लगी. पर तोत्तो-चान थी छोटी और नाजुक-सी, इससे अधिक सहायता क्या करती! यासुकी-चान ने अपना पैर सीढ़ी पर से हटा लिया और हताशा से सिर झुकाकर खड़ा हो गया. तोत्तो-चान को पहली बार लगा कि काम उतना आसान नहीं है जितना वह सोचे बैठी थी. अब क्या करे वह?

अपूर्व अनुभव हिंदी कहानी

यासुकी-चान उसके पेड़ पर चढ़े, यह उसकी हार्दिक इच्छा थी. यासुकी-चान के मन में भी उत्साह था. वह उसके सामने गई. उसका लटका चेहरा इतना उदास था कि तोत्तो-चान को उसे हँसाने के लिए गाल फुलाकर तरह-तरह के चेहरे बनाने पड़े.

“ठहरो, एक बात सूझी है.”

वह फिर चौकीदार के छप्पर की ओर दौड़ी और हरेक चीज़ उलट-पुलटकर देखने लगी. आखिर उसे एक तिपाई-सीढ़ी मिली जिसे थामे रहना भी ज़रूरी नहीं था.

वह तिपाई-सीढ़ी को घसीटकर ले आई तो अपनी शक्ति पर हैरान होने लगी. तिपाई की ऊपरी सीढ़ी द्विशाखा तक पहुँच रही थी.

Also Read:

अपूर्व अनुभव हिंदी कहानी

“देखो, अब डरना मत,” उसने बड़ी बहन की-सी आवाज़ में कहा, “यह डगमगाएगी नहीं.”

यासुकी-चान ने घबराकर तिपाई-सीढ़ी और पसीने से तरबतर तोत्तो-चान की ओर देखा. उसे भी काफ़ी पसीना आ रहा था. उसने पेड़ की ओर देखा और तब निश्चय के साथ पाँव उठाकर पहली सीढ़ी पर रखा.

उन दोनों को यह बिलकुल भी पता न चला कि कितना समय यासुकी-चान को ऊपर तक चढ़ने में लगा. सूरज का ताप उन पर पड़ रहा था, पर दोनों का ध्यान यासुकी-चान के ऊपर तक पहुँचने में रमा था. तोत्तो-चान नीचे से उसका एक-एक पैर सीढ़ी पर धरने में मदद कर रही थी.

अपने सिर से वह उसके पिछले हिस्से को भी स्थिर करती रही. यासुकी-चान पूरी शक्ति के साथ जूझ रहा था और आखिर वह ऊपर पहुँच गया.

अपूर्व-अनुभव-हिंदी-कहानी
अपूर्व-अनुभव-हिंदी-कहानी

“हुरे!” पर, उसे अचानक सारी मेहनत बेकार लगने लगी. तोत्तो-चान तो सीढ़ी पर से छलाँग लगाकर द्विशाखा पर पहुँच गई, पर यासुकी-चान को सीढ़ी से पेड़ पर लाने की हर कोशिश बेकार रही. यासुकी-चान सीढ़ी थामे तोत्तो-चान की ओर ताकने लगा. तोत्तो-चान की रुलाई छूटने को हुई.

उसने यासुकी-चान डाल के सहारे खड़ा था. कुछ झिझकता हुआ वह मुसकराया. तब उसने पूछा, “क्या मैं अंदर आ सकता हूँ?”

उस दिन यासुकी-चान ने दुनिया की एक नयी झलक देखी, जिसे उसने पहले कभी न देखा था. “तो ऐसा होता है पेड़ पर चढ़ना”, यासुकी-चान ने खुश होते हुए कहा. वे बड़ी देर तक पेड़ पर बैठे-बैठे इधर-उधर की गप्पें लड़ाते रहे.

“मेरी बहन अमरीका में है, उसने बताया है कि वहाँ एक चीज़ होती है-टेलीविजन.”

Also Read: अपूर्व अनुभव हिंदी कहानी

यासुकी-चान उमंग से भरा बता रहा था, “वह कहती है कि जब वह जापान में आ जाएगा तो हम घर बैठे-बैठे ही सूमो-कुश्ती देख सकेंगे. वह कहती है कि टेलीविजन एक डिब्बे जैसा होता है.”

तोत्तो-चान उस समय यह तो न समझ पाई कि यासुकी-चान के लिए, जो कहीं भी दूर तक चल नहीं सकता था, घर बैठे चीजों को देख लेने के क्या अर्थ होंगे? वह तो यह ही सोचती रही कि सूमो पहलवान घर में रखे किसी डिब्बे में कैसे समा जाएँगे?

उनका आकार तो बड़ा होता है, पर बात उसे बड़ी लुभावनी लगी. उन दिनों टेलीविजन के बारे में कोई नहीं जानता था. पहले-पहल यासुकी-चान ने ही तोत्तो-चान को उसके बारे में बताया था.

पेड़ मानो गीत गा रहे थे और दोनों बेहद खुश थे. यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह पहला और अंतिम मौका था.

तेत्सुको कुरियानागी (अनुवाद-पूर्वा याज्ञिक कुशवाहा)

तो उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारा यह पोस्ट अपूर्व अनुभव हिंदी कहानी अच्छा लगा होगा. तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें आप Facebook PageLinkedinInstagram, और Twitter पर follow कर सकते हैं जहाँ से आपको नए पोस्ट के बारे में पता सबसे पहले चलेगा. हमारे साथ बने रहने के लिए आपका धन्यावाद. जय हिन्द.

इसे भी पढ़ें

सबसे सुन्दर लड़की – Beautiful Short Moral Stories In Hindi New 21
पत्थर की आवाज़ – Michelangelo Short Story In Hindi – 2020
मुफ़्त ही मुफ़्त Hindi Story For Kids With Moral New 2020
हुदहुद – Hindi Story Short With Moral
सुनीता की पहिया कुर्सी | Moral Hindi Story For Kids | 7 Moral

अपूर्व अनुभव हिंदी कहानी

Leave a Reply