नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने एक हिंदी कविता (Hindi Poem) “भगवान के डाकिए” लेकर आया हूँ और इस कविता को रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी ने लिखा है. आशा करता हूँ कि आपलोगों को यह कविता पसंद आएगी. अगर आपको और हिंदी कवितायेँ पढने का मन है तो आप यहाँ क्लिक कर सकते हैं (यहाँ क्लिक करें).

भगवान के डाकिए – हिंदी कविता – रामधारी सिंह ‘दिनकर’
पक्षी और बादल,
ये भगवान के डाकिए हैं,
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं.
हम तो समझ नहीं पाते हैं
मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
पेड, पौधे, पानी और पहाड़
बाँचते हैं.
हम तो केवल यह आँकते हैं
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगंध भेजती है.
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए
पक्षियों की पाँखों पर तिरता है.
और एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है.
– रामधारी सिंह ‘दिनकर’
Conclusion
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Image Source: Pixabay
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