भगवान के डाकिए – हिंदी कविता – रामधारी सिंह ‘दिनकर’

नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने एक हिंदी कविता (Hindi Poem) “भगवान के डाकिए” लेकर आया हूँ और इस कविता को रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी ने लिखा है. आशा करता हूँ कि आपलोगों को यह कविता पसंद आएगी. अगर आपको और हिंदी कवितायेँ पढने का मन है तो आप यहाँ क्लिक कर सकते हैं (यहाँ क्लिक करें).

भगवान के डाकिए - हिंदी कविता - रामधारी सिंह 'दिनकर'

भगवान के डाकिए – हिंदी कविता – रामधारी सिंह ‘दिनकर’

पक्षी और बादल,
ये भगवान के डाकिए हैं,
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं.
हम तो समझ नहीं पाते हैं
मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
पेड, पौधे, पानी और पहाड़
बाँचते हैं.

हम तो केवल यह आँकते हैं
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगंध भेजती है.
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए
पक्षियों की पाँखों पर तिरता है.
और एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है.

– रामधारी सिंह ‘दिनकर’

Conclusion

तो उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारा यह हिंदी कविता “भगवान के डाकिए“ अच्छा लगा होगा जिसे रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी ने लिखा है. आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें आप Facebook PageLinkedinInstagram, और Twitter पर follow कर सकते हैं जहाँ से आपको नए पोस्ट के बारे में पता सबसे पहले चलेगा. हमारे साथ बने रहने के लिए आपका धन्यावाद. जय हिन्द.

Image Source: Pixabay

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