नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने हिंदी शायरी (Hindi Poetry) “की वफा हमसे तो ग़ैर उसको जफ़ा कहते हैं” लेकर आया हूँ और इस शायरी को मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib) जी ने लिखा है.
आपके सामने हिंदी शायरी (Hindi Poetry) “है बस कि हर इक उनके इशारे में निशां और” लेकर आया हूँ और इस कविता को मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib) जी ने लिखा है.
आपके सामने हिंदी शायरी (Hindi Poetry) “दोसत ग़मखवारी में मेरी सअयी फ़रमायेंगे क्या” लेकर आया हूँ और इस कविता को मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib) जी ने लिखा है.