दायम पड़ा हुआ तेरे दर पर नहीं हूं मैं | मिर्ज़ा ग़ालिब | हिंदी शायरी

दायम पड़ा हुआ तेरे दर पर नहीं हूं मैं | मिर्ज़ा ग़ालिब | हिंदी शायरी

आज मैं फिर से आपके सामने हिंदी शायरी (Hindi Poetry) “दायम पड़ा हुआ तेरे दर पर नहीं हूं मैं” लेकर आया हूँ और इस कविता को मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib) जी ने लिखा है.
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दर्द मिन्नत-कशे-दवा न हुआ | मिर्ज़ा ग़ालिब | हिंदी शायरी

दर्द मिन्नत-कशे-दवा न हुआ | मिर्ज़ा ग़ालिब | हिंदी शायरी

आपके सामने हिंदी शायरी (Hindi Poetry) “दर्द मिन्नत-कशे-दवा न हुआ” लेकर आया हूँ और इस कविता को मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib) जी ने लिखा है.
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बस कि दुशवार है हर काम का आसां होना | मिर्ज़ा ग़ालिब | हिंदी शायरी

बस कि दुशवार है हर काम का आसां होना | मिर्ज़ा ग़ालिब | हिंदी शायरी

आपके सामने हिंदी शायरी (Hindi Poetry) “बस कि दुशवार है हर काम का आसां होना” लेकर आया हूँ और इस कविता को मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib) जी ने लिखा है.
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आह को चाहिये इक उम्र असर होने तक | मिर्ज़ा ग़ालिब | हिंदी शायरी

आह को चाहिये इक उम्र असर होने तक | मिर्ज़ा ग़ालिब | हिंदी शायरी

आपके सामने हिंदी शायरी (Hindi Poetry) “आह को चाहिये इक उम्र असर होने तक” लेकर आया हूँ और इस कविता को मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib) जी ने लिखा है.
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