दिले-नादां तुझे हुआ क्या है | मिर्ज़ा ग़ालिब | हिंदी शायरी

नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने हिंदी शायरी (Hindi Poetry) दिले-नादां तुझे हुआ क्या है लेकर आया हूँ और इस कविता को मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib) जी ने लिखा है.

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दिले-नादां तुझे हुआ क्या है | मिर्ज़ा ग़ालिब | हिंदी शायरी

दिले-नादां तुझे हुआ क्या है – मिर्ज़ा ग़ालिब – हिंदी शायरी

दिले-नादां तुझे हुआ क्या है
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है

हम हैं मुशताक और वो बेज़ार
या इलाही ये माजरा क्या है

मैं भी मूंह में ज़ुबान रखता हूं
काश पूछो कि मुद्दआ क्या है

जबकि तुज बिन नहीं कोई मौजूद
फिर ये हंगामा-ए-ख़ुदा क्या है

ये परी चेहरा लोग कैसे हैं
ग़मज़ा-ओ-इशवा-यो अदा क्या है

शिकने-ज़ुल्फ़-ए-अम्बरी क्या है
निगह-ए-चशम-ए-सुरमा क्या है

सबज़ा-ओ-गुल कहां से आये हैं
अबर क्या चीज है हवा क्या है

हमको उनसे वफ़ा की है उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है

हां भला कर तेरा भला होगा
और दरवेश की सदा क्या है

जान तुम पर निसार करता हूं
मैं नहीं जानता दुआ क्या है

मैंने माना कि कुछ नहीं ‘ग़ालिब’
मुफ़त हाथ आये तो बुरा क्या है

Conclusion

तो उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारा यह हिंदी शायरी दिले-नादां तुझे हुआ क्या है अच्छा लगा होगा जिसे मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib) जी ने लिखा है. आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें आप Facebook Page, Linkedin, Instagram, और Twitter पर follow कर सकते हैं जहाँ से आपको नए पोस्ट के बारे में पता सबसे पहले चलेगा. हमारे साथ बने रहने के लिए आपका धन्यावाद. जय हिन्द.

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