गुड़िया हिंदी कविता (Gudiya Hindi Poem): नमस्कार दोस्तों! आज मैं आपके सामने एक कविता पेश करने जा रहा हूँ जिसका नाम है- “गुड़िया”. इस कविता को कुंवर नारायण जी ने लिखा है. मैं उम्मीद करता हूँ कि आपलोगों को यह कविता पसंद आयेगी. तो इसी के साथ शुरू करते हैं आज का पोस्ट- “गुड़िया हिंदी कविता – Gudiya Hindi Poem”.
गुड़िया हिंदी कविता – Gudiya Hindi Poem – कुँवर नारायण (Kunwar Narayan)
मेले से लाया हूँ इसको
छोटी सी प्यारी गुड़िया,
बेच रही थी इसे भीड़ में
बैठी नुक्कड़ पर बुढ़िया.
मोल-भाव करके लाया हूँ
ठोक-बजाकर देख लिया,
आँखें खोल मूंद सकती है
वह कहती है पिया-पिया.
जड़ी सितारों से है इसकी
चुनरी लाल रंग वाली,
बड़ी भली हैं इसकी आँखें
मतवाली काली-काली.
ऊपर से है बड़ी सलोनी
अंदर गुदड़ी है तो क्या?
ओ गुड़िया तू इस पल मेरे
शिशुमन पर विजयी माया.
रखूगा मैं तुझे खिलौनों की
अपनी अलमारी में,
कागज़ के फूलों की नन्हीं
रंगारंग फुलवारी में.
नये-नये कपड़े-गहनों से
तुझको रोज़ सजाऊँगा,
खेल-खिलौनों की दुनिया में
तुझको परी बनाऊँगा.
तो उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारा यह हिंदी कविता “गुड़िया हिंदी कविता – Gudiya Hindi Poem” अच्छा लगा होगा, जिसे कुंवर नारायण जी ने लिखा है. तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें आप Facebook Page, Linkedin, Instagram, और Twitter पर follow कर सकते हैं जहाँ से आपको नए पोस्ट के बारे में पता सबसे पहले चलेगा. हमारे साथ बने रहने के लिए आपका धन्यावाद. जय हिन्द.
Image Source: Pixabay
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