नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने हिंदी कविता (Hindi Poem) “गुलाबी उजाला” लेकर आया हूँ और इस कविता को हरभगवान चावला (Harbhagwan Chawla) जी ने लिखा है.
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गुलाबी उजाला | हरभगवान चावला | हिन्दी कविता
मेरे घर से मेरे प्यार तक
एक समंदर का फासला है
इस समंदर में अक्सर
तूफ़ानों की हलचल रहती है
समंदर भरा है
आक्टोपस और शार्क मछलियों से
जल में डूबी बगुले – सी खड़ी हैं
घात लगाए नुकीली चट्टानें
मैं रोज़ उस समंदर को
तैरकर पार करती हूँ
घर से जाते हुए
एक गुलाबी उजाला मेरे सामने होता है
घर लौटते हुए
मेरे भीतर होता है वही गुलाबी उजाला.
Conclusion
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Pixabay: [1]
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मुझे नयी-नयी चीजें करने का बहुत शौक है और कहानी पढने का भी। इसलिए मैं इस Blog पर हिंदी स्टोरी (Hindi Story), इतिहास (History) और भी कई चीजों के बारे में बताता रहता हूँ।