पहिया बड़े काम की चीज है। बैलगाड़ी, साइकिल, मोटर, रेलगाड़ी सभी पहियों से चलती है। पहिए की खोज से हमें बहुत ही लाभ हुआ है।
पुराने जमाने में पहिया नहीं बना था, तब समान लेने और ले जाने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता था। उस समय में जानवर सामान ढोते थे। आज भी हम सामान ढोने के लिए जानवरों का उपयोग करते हैं।
पहिए की खोज करीब पांच हजार साल पहले हुई। इसे बनाया किसने? यह आज तक किसी को पता नहीं चला है।
पहिया बना तो जानवरों को आराम मिला। लोगों ने उनसे सामान ढोना करीब करीब बंद कर दिया। लेकिन घने जंगलों में, पहाड़ों और रेगिस्तानों में, आज भी हम जानवरों का उपयोग का सामान ले जाते हैं। और आज भी हम जानवरों पर सामान लादते हैं। आमतौर पर ऊंट, घोड़े, और खच्चरों से सामान ढोने का काम किया जाता है।
पहिया बनने से पहले लोग अपनी पीठ पर सामान लादकर जाते थें। तभी वे लंबा सफर नहीं कर पाते थें। रास्ते में खतरे भी बहुत थें। इसलिए लोग इधर-उधर कम करते थे।
लोग पहले जंगलों में रहते थे। पालतू जानवर ही उसके साथी थें। इसमें कुत्ता बहुत ही काम का जानवर था। सबसे पहले लकड़ी के पटरों को जोड़कर एक छोटी सी गाड़ी बनाई। इसे कुत्ते खींचते थे, गाड़ी का नाम था – स्लेज। इसके बाद बड़ी गाडियां बनी, य सामान ढोने के काम आई। इन गाड़ियों को ऊंट, घोड़े, बैल खींचते थें। इससे बहुत ही आसानी हुई। इससे काम जल्दी होने लगा था।
सबसे पहले पहिया लकड़ी के तीन टुकड़े को जोड़कर बनाया गया। धीरे-धीरे इसमें सुधार हुआ। फिर किसी पेड़ का मोटा तना काटा गया। फिर उसमें से दो गोल टुकड़े काटें। उन दोनों गोलों के बीच में छेद किया गया। फिर एक लोहे की मोटी छड़ ली और इसमें दोनों गोलों को जोड़ दिया गया। छड़ के सहारे पहिया घूमने लगा। इससे बड़ी मदद मिलने लगी। काम और भी जल्दी से होने लगा था।
इसके बाद पहिए में और सुधार हुआ। इसमें लकड़ी के पहिए के चारों ओर लोहे की पट्टी ठोंकी गई। इससे पहिया और भी मजबूत हो गया। इससे गाड़ी आसानी से चलने लगी थी।
सबसे पहले हाथ से ठेलने वाली दो पहिए का वाहन बना। जिससे लोग अपने सामान को आसानी से इधर उधर के जाते थे।
फिर इसी गाड़ी में फेर बदल करते करते गाड़ियों में दो से अधिक पहिए लगे। इसी तरह से बड़ी गाडियां बनीं
इन पहियेदार गाड़ियों में घोड़े जोड़ दिए गए। इससे चाल और बढ़ गई। विदेशों में चार पहिए वाले गाड़ियों का चलन शुरू हुआ।
अधिक सामान ढोने के लिए बड़ी पहियों को बनाया गया। इससे वे काफी भाड़ी हो गए। पहियों और सामान को मिलाकर वजन अधिक होगया। इसलिए कुछ समय बाद सड़कें भी सीमेंट को बनने लगीं। फिर भाप से चलने वाले इंजन बनने लगीं। इनको रेलगाड़ी से जोड़ दिया गया। यह रेलगाड़ी पटरी पर बहुत तेजी से दौड़ने लगीं।
मानव ने और प्रगति की। करीब सौ साल पहले विदेश में हवा भड़े टायर बने। इन्हें डनलप नाम के एक आदमी ने बनाया था। इससे झटके लगने एकदम बन्द हो गए। मोटर के पहिए पर मजबूत रबर का टायर चढ़ाया गया।
जो जगह बहुत दूर लगती थी, पहिए की खोज ने उसे पास ले आया था। जिस जगह जाने में कई महीने लगते थे, अब वहां कुछ दिनों में पहुंचा का सकता है।
यह तो पता नहीं पहिया किसने बनाया? मगर जिसने भी बनाया, हम उसके आभारी हैं। उसने इसे बनाकर सबका भला ही किया है।
Moral Fact: पहिए के विकास ने समय की बचत की है।