विप्लव-गायन हिंदी कविता

विप्लव-गायन हिंदी कविता: नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने एक हिंदी कविता  पेश करने जा रहा हूँ. उम्मीद करता हूँ कि आप लोगों को हमारा या पोस्ट अच्छा लगेगा. इस कविता का नाम है- “विप्लव-गायन  और इस कविता को बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ जी ने लिखा है. तो शुरू करते हैं आज का पोस्ट.

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कवि, कुछ ऐसी तान सुनाओ –
जिससे उथल पुथल मच जाए,
एक हिलोर इधर से आए,
एक हिलोर उधर से आए। 

सावधान! मेरी वीणा में
चिनगारियाँ आन बैठी हैं,
टूटी हैं मिज़राबें, अंगुलियाँ
दोनों मेरी ऐंठी हैं। 

कंठ रुका है महानाश का
मारक गीत रुद्ध होता है,
आग लगेगी क्षण में, हृत्तल में
अब क्षुब्ध-युद्ध होता है। 

झाड़ और झंखाड़ दग्ध है
इस ज्वलंत गायन के स्वर से,
रुद्ध-गीत की क्रुद्ध तान है
निकली मेरे अंतरतर से।

कण-कण में है व्याप्त वही स्वर
रोम-रोम गाता है वह ध्वनि,
वही तान गाती रहती है,
कालकूट फणि की चिंतामणि।

आज देख आया हूँ-जीवन के
सब राज़ समझ आया हूँ,
भ्रू-विलास में महानाश के
पोषक सूत्र परख आया हूँ।

=बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’=

Image Source: Wikimedia Commons

तो उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारा यह हिंदी कविता “विप्लव-गायन हिंदी कविता” अच्छा लगा होगा, जिसे बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ जी ने लिखा है. तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें आप Facebook PageLinkedinInstagram, और Twitter पर follow कर सकते हैं जहाँ से आपको नए पोस्ट के बारे में पता सबसे पहले चलेगा. हमारे साथ बने रहने के लिए आपका धन्यावाद. जय हिन्द.

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