हिमालय की बेटियाँ – हिंदी कहानी
अभी तक मैंने उन्हें दूर से देखा था. बड़ी गंभीर, शांत, अपने आप में खोई हुई लगती थीं. संभ्रांत महिला की भाँति वे प्रतीत होती थीं. उनके प्रति मेरे दिल में आदर और श्रद्धा के भाव थे. माँ और दादी, मौसी और मामी की गोद की तरह उनकी धारा में डुबकियाँ लगाया करता.
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