ध्वनि – हिंदी कविता – सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”

नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने एक हिंदी कविता (Hindi Poem) लेकर आया हूँ और इस कविता को सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला जी ने लिखा है. आशा करता हूँ कि आपलोगों को यह कविता पसंद आएगी. अगर आपको और हिंदी कवितायेँ पढने का मन है तो आप यहाँ क्लिक कर सकते हैं (यहाँ क्लिक करें).

ध्वनि - हिंदी कविता - सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"

ध्वनि – हिंदी कविता – सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला’

अभी न होगा मेरा अंत
अभी-अभी ही तो आया है
मेरे वन में मृदुल वसंत-
अभी न होगा मेरा अंत.

हरे-हरे ये पात,
डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात.
मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर
फेरूँगा निद्रित कलियों पर
जगा एक प्रत्यूष मनोहर.

पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं,
अपने नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूंगा मैं,

द्वार दिखा दूँगा फिर उनको.
हैं मेरे वे जहाँ अनंत-
अभी न होगा मेरा अंत.

-सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला

Image Sources: Pixabay

तो उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारा यह हिंदी कविता “ध्वनि“ अच्छा लगा होगा जिसे सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला जी ने लिखा है. आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें आप Facebook PageLinkedinInstagram, और Twitter पर follow कर सकते हैं जहाँ से आपको नए पोस्ट के बारे में पता सबसे पहले चलेगा. हमारे साथ बने रहने के लिए आपका धन्यावाद. जय हिन्द.

Leave a Reply