
पोंगल भारत का त्यौहार – हिंदी कहानी – हिंदी निबंध
भारत एक कृषि प्रधान देश है. भारतीय किसान का जीवन प्रकृति से जुड़ा रहता है. वह प्रकृति के साथ ही हँसता-रोता है, नाचता-गाता है. बुआई, सिंचाई, निराई आदि खेती-बाड़ी के सारे काम वह मौसम के अनुसार करता है.
जब चारों तरफ हरियाली छा जाती है, वृक्ष-लताएँ फूलों से लद जाती हैं तब मानव भी गुनगुनाने लगता है. जब खेत-खलिहान अनाज से भर जाते हैं तब उसके पाँव थिरक उठते हैं, वह उत्सव मनाने के लिए मचल उठता है. त्योहारों का जन्म यहीं से होता है. (हिंदी निबंध)
पोंगल नयी फसल का त्योहार है. यह संक्रांति के दिन मनाया जाता है. तमिलनाडु का यह प्रमुख त्योहार है. यह जनवरी में मनाया जाता है. ‘पोंगल’ में खेतों से सुनहरे रंग का नया धान कटकर किसान के घर आता है. गन्ने के खेत की फसल तैयार होती है.
Also Read: हिंदी कहानी – हिंदी निबंध
बगीचे में हल्दी का पौधा लहलहा उठता है. इन्हें देखकर किसान का मन नाच उठता है. उसके जीवन में मिठास आ जाती है. संक्रांति के दिन नए चावल का मीठा भात बनाकर सूर्य को चढ़ाया जाता है. इसी मीठे भात को पोंगल कहते हैं. इसी से त्योहार का नाम पोंगल पड़ा है. (हिंदी कहानी – हिंदी निबंध)
तमिलनाडु में पोंगल त्योहार पौष मास में आरंभ के चार दिनों तक मनाया जाता है. पोंगल के पहले दिन लोग ‘भोगी’ का त्योहार मनाते हैं. पूरे घर की सफ़ाई की जाती है. इससे पर्यावरण स्वच्छ हो जाता है. भोगी के दिन शाम को बच्चे ढोल और बाजे बजाकर खुशियाँ मनाते हैं.

पोंगल के दिन घर-आँगन को रंगोली से सजाते हैं. नहा-धोकर सभी लोग नए कपड़े पहनते हैं. उस दिन सब कुछ नया होता है. आँगन में अँगीठी जलाकर नए बर्तन में पोंगल पकाया जाता है. बर्तन में हल्दी का पौधा बाँध दिया जाता है. गन्ने के रस में नयी फसल का चावल पकाया जाता है. (हिंदी निबंध)
जब चावल उबलकर ऊपर उठता है तो उसमें दूध डाल देते हैं. दूध के साथ उफनता हुआ पोंगल बर्तन के ऊपर से उमड़ता है और चारों ओर रिसकर आंच में टपक पड़ता है. उस समय चारों ओर इकट्ठे लोग खुशी से नाच उठते हैं और जोश में चिल्लाते हैं- ‘पोंगलो पोंगल!’ उन्हें प्रसन्नता होती है कि सूर्य और अग्नि ने पोंगल का भोग स्वीकार कर लिया है.
लोग अपने पास-पडोस में पोंगल बाँटते हैं. उसके बाद मित्र और सगे-संबंधी सब मिलकर बढ़िया भोजन करते हैं. पोंगल के दिन हर तमिल भाषी, चाहे वह भारत के किसी कोने में रहता हो अपने घर पहुँचने की कोशिश करता है. विवाहित-लड़कियाँ पोंगल मनाने अपने मायके आती हैं.
Also Read: हिंदी कहानी – हिंदी निबंध
तीसरे दिन ‘माटु पोंगल’ मनाया जाता है. तमिल भाषा में ‘माडु’ गाय-बैलों को कहते हैं. ‘माडु’ का अर्थ ‘धन’ भी है. पुराने समय में गाय-बैल ही हमारी संपत्ति थे.
माटु पोंगल के दिन गाय-बैलों को अच्छी तरह नहलाया जाता है. लोग उनके सींगों को रँगते हैं और उन्हें रंगीन कपड़ों से सजाते हैं. लोग उनके गले में फूल-मालाएँ पहनाते हैं तथा उन्हें गुड़ और अच्छी-अच्छी चीजें खिलाते हैं. शाम को मैदान में बैलों को दौड़ाया जाता है.
चौथे दिन ‘काणुम पोंगल’ होता है. खाना बाँधकर पूरा परिवार घर से बाहर निकल पड़ता है. जगह-जगह मेले लगते हैं. लोग मेलों में घूमते हैं या आसपास के स्थान देखने के लिए चल पड़ते हैं. इस तरह चारों दिन लोग अपने दैनंदिन कामों से छुट्टी लेकर इस त्योहार का आनंद लेते हैं. (हिंदी निबंध)
खेती से संबंधित यह त्योहार पूरे भारत में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है. गुजरात से लेकर बंगाल तक लोग इसे संक्रांति के नाम से मनाते हैं. उत्तर भारत में संक्रांति पर स्नान का महत्त्व है. गंगा, यमुना, नर्मदा, क्षिप्रा आदि नदियों में लोग स्नान करते हैं. चावल और मूंग की दाल की खिचड़ी बनाकर खाते-खिलाते हैं.
महाराष्ट्र में यह तिल-गुड़ का त्योहार है. तिल स्नेह का प्रतीक है और गुड़ मिठास का. लोग एक दूसरे को तिल-गुड़ देकर कहते हैं- ‘तिल-गुड़-घ्या, गोड बोला’ अर्थात- तिल और गुड़ खाओ और मीठा बोलो. पंजाब में संक्रांति से एक दिन पहले ‘लोहड़ी’ का त्योहार मनाते हैं. ‘लोहड़ी’ का अर्थ है- ‘छोटी’ या छोटी संक्रांति. (हिंदी निबंध)

लोग अपने घर से बाहर, आँगन में या चौराहे पर लकड़ियाँ जमा करते हैं. संध्या के बाद स्त्री-पुरुष और बच्चे वहाँ इकट्ठे होते हैं और लोहड़ी जलाते हैं. नयी फसल का मक्का आग में डाला जाता है. यह खील की तरह फल उठता है. लोग मक्के की फली (खील) और तिल की रेवडियाँ बाँटते हैं. आपस में प्रेम से मिलते हैं. अरुणाचल प्रदेश में ‘पानुङ’ का त्योहार भी इसी समय मनाया जाता है.
विविधता में एकता भारत की विशेषता है. एक ही त्योहार को लोग विविध रूपों में मनाकर भारत की सांस्कृतिक एकता को मजबूत बनाते हैं.
तो उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारा यह पोस्ट “पोंगल: भारत का त्यौहार – हिंदी कहानी – हिंदी निबंध” अच्छा लगा होगा. तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें आप Facebook Page, Linkedin, Instagram, और Twitter पर follow कर सकते हैं जहाँ से आपको नए पोस्ट के बारे में पता सबसे पहले चलेगा. हमारे साथ बने रहने के लिए आपका धन्यावाद. जय हिन्द.
इसे भी पढ़ें
- पिज्जा का आविष्कार किसने किया था या पिज्जा को किसने बनाया था – Who invented Pizza In Hindi
- सरस्वती पूजा | वसंत पंचमी | Saraswati Puja In Hindi | Vasant Panchami In Hindi
- रमजान का इतिहास – History Of Ramadan In Hindi – Eid al-Fitr
- होली: रंगों का महा त्यौहार – History Of Holi In Hindi
- दिवाली का प्राचीन उद्गम, भारत का सबसे बड़ा त्यौहार – Origins And History Of Diwali In Hindi
- गारो – Short Moral Story In Hindi

मुझे नयी-नयी चीजें करने का बहुत शौक है और कहानी पढने का भी। इसलिए मैं इस Blog पर हिंदी स्टोरी (Hindi Story), इतिहास (History) और भी कई चीजों के बारे में बताता रहता हूँ।