भावार्थ – आचार्य चाणक्य के उपर्युक्त श्लोक के माध्यम से शेर, व्याघ्रादि नाखून रखने वाले प्राणियों एवं नदियों एवं सींगधारी सांड़ पशु, हाथ में तलवार, परशु उठाए शस्त्रधारियों का, स्त्रियों पर और राजकुलों पर यकीन कदापि नहीं करना चाहिए।
व्याख्या – मनुष्यों को लम्बे नाखूनधारियों वाले प्राणियों से सदैव सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि ऐसे नाखूनधारी प्राणी मनुष्य की चोट से बचना चाहिए।
स्रोतों वाली नदियों के कभी पास नहीं जाना चाहिए, क्योंकि इसकी गहराई का कुछ भी अनुमान नहीं होता।
शस्त्रधारी और सींगधारी पर मनुष्य को कभी विश्वास नहीं करना चाहिए।
न जाने कब किस तरफ से प्रहार कर दें। इस प्रकार से स्त्री और राजवंशों के इतिहास में आचार्य चाणक्य बतलाते हैं कि स्त्री पर अंधविश्वास कदापि न करें, जितना जरूरत समझें , उतना ही विश्वास करें, उसे आजाद छोड़ने पर पथभ्रष्ट होने का भय सदैव बना रहता है।
राजकुलों के व्यक्तियों से प्रायः सावधान रहना चाहिए क्योंकि उनकी मति का कुछ भी विश्वास नहीं।
वह न जाने कब किस वक्त और कहां पर किस मकड़जाल में फंसा दें, उपर्युक्त सभी समस्त प्राणियों से सतर्क रहना आवश्यक है।
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