एक दिन हर्ष ने देखा कि उसके पिता कई दिनों से एक बहुत ही सुंदर-सा खिलौना बनाने में लगे हुए हैं। वह एक पक्षी बना रहे थें, जो कई प्रकार के रंग-बिरंगी सीपियों से बना हुआ था। वह उस खिलौने को बहुत देर तक देखता रह, फिर उसने अपने पिता से पूछा, “बाबा, यह खिलौना आपने किसके लिए बनाया है?”
उसके पिता जो कलाकार थे, उन्होंने उत्तर दिया, “यह मैं एक सबसे सुंदर लड़की के लिए बना रह हूँ। मंजरी सुंदर है न? अब से दो दिन बाद उसका जन्मदिन भी है। उस दिन तुम इस पक्षी को मंजरी को भेंट में दे देना।”
हर्ष खुशी से उछल पड़ा और अपने पिता से बोला – “हाँ-हाँ बाबा, मैं यह सुंदर पक्षी मंजरी को ही दूंगा। उसे यह देखकर बहुत अच्छा लगेगा।”
और यह बोलने के बाद वह जल्दी से दौड़कर मंजरी के पास पहुँच गया, फिर मंजरी को वह समुद्र के किनारे ले गया और उससे बातें करने लगा। फिर हर्ष, मंजरी से बोला,” क्या दो दिन बाद तुम्हारा जन्मदिन है?”
“हाँ, लेकिन तुमको कैसे पता चला?”
“मुझे मेरे बाबा ने बताया कि दो दिन बाद तुम्हारा जन्मदिन है। हाँ, तो उस दिन तुम क्या-क्या करोगी?”
“मैं सबसे पहले सबेरे-सबेरे उठकर नहा-धोकर सबके चरण छूकर प्रणाम करूँगी। घर पर तो मैं सहेलियों को दावत पर बुलाती हूँ। वे सबलोग यहाँ नाचती-गाती भी हैं।”
Kafi achchi kahani hai yah.
Haaa maine to bs vistaar me likhne ki kosis ki hai