1919 में, अंग्रेजों के कड़े नियंत्रण में भारत के साथ, महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) जी ने एक राजनीतिक पुन: जागरण (Political reawakening) किया, जब नए अधिनियमित रौलट अधिनियम (Rowlatt Act) ने ब्रिटिश अधिकारियों को बिना किसी मुकदमे के छेड़खानी के संदेह में लोगों को कैद करने के लिए अनुमति दे दिया।
इसके जवाब में, महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) जी ने शांतिपूर्ण विरोध और हड़ताल (Peaceful protest and strike) के सत्याग्रह अभियान की शुरुआत कर दी।
इसके बावजूद भी हिंसा भड़क उठी, जिसका अंत 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के नर-संहार (Massacre) में हुआ था।
ब्रिटिश ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड डायर (General Reginald Dyer) के नेतृत्व में सैनिकों ने निहत्थे प्रदर्शनकारियों (Unarmed protesters) की भीड़ में मशीन गानों को दागना शुरू कर दिया और इस कांड में लगभग 400 बेकसूर लोगों की खुलेआम हत्या कर दी गयी।
अब यह सब देखने के बाद महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ब्रिटिश सरकार के प्रति निष्ठा रखने में असक्षम हो गये, गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका (South Africa) में अपनी सैन्य सेवा के लिए जितने भी पदक प्राप्त किए गए, उन सभी पदकों को लौटा दिया गया और प्रथम विश्व युद्ध (First World War) में ब्रिटेन में भारतीयों के अनिवार्य सैनिक मसौदे (Military draft) का विरोध भी किया।
गांधी जी भारतीय गृह-शासन आंदोलन (Indian Home Rule Movement) में एक अग्रणी व्यक्ति बन गए। गाँधी जी ने सामूहिक बहिष्कार का आह्वान करते हुए, उन्होंने सरकारी अधिकारियों से क्राउन (Crown) के लिए काम करना छोड़ दिया। गाँधी जी ने किसी भी तरह के ब्रिटिश सामान को खरीदने से रोकने का सबसे अनुरोध किया।
ब्रिटिश के द्वारा बनाये गए कपड़े खरीदने के बजाय, उन्होंने अपने कपड़े का निर्माण करने के लिए एक पोर्टेबल चरखा (Portable spinning wheel) का उपयोग करना शुरू किया। चरखा जल्द ही भारतीय स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता (Indian independence and self-reliance) का प्रतीक बन गया।
गांधी जी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) का नेतृत्व करना शुरू किया और गृह शासन (Home government) प्राप्त करने के लिए अहिंसा और असहयोग की नीति (Policy of non-violence and non-cooperation) की वकालत करनी शुरू कर दी थी।
1922 में ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा गांधी जी को जेल में बंद करने के बाद, उन्होंने गाँधी जी को देशद्रोह के तीन मामलों में दोषी ठहराया था। हालाँकि गाँधी जी को छह साल की कैद की सजा सुनाई गई, लेकिन उन्हें फरवरी 1924 में एपेंडिसाइटिस सर्जरी (Appendicitis surgery) के बाद छोड़ दिया गया था।
जब दो धार्मिक समूहों (Religious groups) के बीच हिंसा फिर से शुरू हुई, तो गांधी जी ने एकता का आग्रह करने के लिए 1924 की ठंडी के समय (Winter season) में तीन सप्ताह का व्रत (उपवास – Fasting) करना शुरू किया। वह बाद के 1920 के दशक के दौरान सक्रिय राजनीति से दूर रहे।
Wah jhakas
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