ओस हिंदी कविता – Oas Hindi Poem: नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने एक कविता पेस करने जा रहा हूँ, और इस कविता को सोहनलाल द्विवेदी जी ने लिखा हैं, जिसका नाम है- “ओस“. तो चलिए शुरू करते हैं आज की पोस्ट “ओस हिंदी कविता – Oas Hindi Poem”.
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ओस हिंदी कविता – Oas Hindi Poem – सोहनलाल द्विवेदी
हरी घास पर बिखेर दी हैं
ये किसने मोती की लड़ियाँ?
कौन रात में गूंथ गया है
ये उज्ज्वल हीरों की कड़ियाँ?
जुगनू से जगमग जगमग ये
कौन चमकते हैं यों चमचम?
नभ के नन्हें तारों से
ये कौन दमकते हैं यों दमदम?

लुटा गया है कौन जौहरी
अपने घर का भरा खज़ाना?
पत्तों पर, फूलों पर, पग पग
बिखरे हुए रतन हैं नाना।
बड़े सबेरे मना रहा है
कौन खुशी में यह दीवाली?
वन उपवन में जला दी है
किसने दीपावली निराली?

जी होता, इन ओस कणों को
अंजलि में भर घर ले आऊँ?
इनकी शोभा निरख निरख कर
इन पर कविता एक बनाऊँ।
– सोहनलाल द्विवेदी
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