रेल यात्रा (Railway Journey)

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रेल यात्रा – हिंदी निबंध

हमलोगों ने अखबारों में पढ़ा कि सन्त विनोबा भावे गया आयेंगे और भूदान का सन्देश देंगे. मैंने तीन मित्रों के साथ गया जाने तथा उनका भाषण सुनने का निश्चय किया.

जाड़े की ऋतु थी और कष्टदायक हवा बह रही थी . हमलोगों ने खराब मौसम की परवाह नहीं की. हमलोग पटना जंक्शन आये, जहाँ से हमलोगों को यात्रा आरम्भ करनी थी. टिकट लेने में हमलोगों ने कोई दिक्क्त महसूस नहीं की, क्योंकि वहाँ 24 घंटे टिकट मिलती है. अतः हमने आसानी से टिकट खरीद लिए और डब्बे में प्रविष्ट हुए .

हमलोग डब्बे में घुसे और गाड़ी ठीक समय पर खुली. पहले यह धीरे-धीरे चली परन्तु शीघ्र ही इसकी गति तेज हो गई. हमलोगों ने खिड़की से झाँका और प्लेटफॉर्म, दुकानों और मुसाफिरों को अपनी दृष्टि से लुप्त होते देखा.

गेहूँ के पौधों से हरे-भरे खेत वृत्ताकार रूप में घूमते हुए दृष्टिगोचर होते थे वृक्ष भी रेलवे लाइन के दोनों ओर घूमते हुए मालूम पड़ रहे थे. हमलोग एक मुसलमान सज्जन से वार्तालाप करने लगे, जो अजमेर से आ रहे थे. वे अपने व्यवहार में नम्र थे. उन्होंने हमलोगों को कुछ मुसलमान महात्माओं के बारे में बताया. 

गाड़ी जहानाबाद पहुँची और हमलोगों ने बहुत-से विक्रेताओं को स्टेशन पर देखा. हमलोगों ने कुछ मिठाइयाँ खरीदीं और उनका रसास्वादन किया. कुछ समय रुकने के बाद गाड़ी ने सीटी बजायी और चलने लगी.

मुसाफिरों की काफी भीड़ थी. हमलोग विक्रेताओं से जो नीलामी द्वारा चीजें बेचते थे, तंग थे; वे खराब माल बेचते थे और मुसाफिरों को ठगते थे. कुछ विक्रेता नारंगी तथा बिस्कुट बेचने के लिए आये.

मकदूमपुर, बेला तथा बहुत-से स्टेशनों को पार करती हुई गाड़ी गया पहुँच गई. वहाँ हमलोगों ने विशाल प्लेटफॉर्म देखा और भिन्न-भिन्न स्थानों के मनुष्यों से मिले. गया बौद्ध यात्रियों के लिए तीर्थस्थान है. विश्व के विभिन्न हिस्सों से बौद्ध भिक्षुक बोध गया का मंदिर देखने के लिए आते हैं. 

हमलोगों ने फाटक पार किया और एक धर्मशाला में गये, जहाँ हमलोगों ने डेरा डाला. भोजन के पश्चात् हमलोग सन्त विनोबा के संदेश सुनने के लिए गये. यह बहुत आनन्ददायक यात्रा थी. हमलोगों ने बहुत-सी चीजें देखी और ज्ञान – वृद्धि की.

सन्त विनोबा का भाषण तथा शान्ति का अनुपम संदेश बड़ा ही प्रभावकारी था. वे गरीबों के लिए मुफ्त भूमि भू-स्वामियों से प्राप्त करते थे और असहायों की सेवा में लगे रहते थे.

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Railway Journey – Essay in English

We read in papers that Sant Vinoba Bhave would visit Gaya and would give his message on Bhoodan. Three of my friends and I decided to go to Gaya to hear his speeches.

It was winter and a biting wind was blowing. We did not care for the bad weather. We came to Patna Junction from where we had to begin our journey. No difficulty was felt in taking tickets as there are 24 hours booking at the Patna Junction. So we bought our tickets easily and went inside the compartment.

We got into the compartment and the train started at the right time. First, it moved slowly, but soon its speed quickened. We looked through the window and saw the platforms, stalls and waiting for passengers gradually disappearing from our sight.

Green fields with wheat plants were moving in a circle. Trees also seemed to be moving on either side of the railway line. We entered into a conversation with a Mohammedan gentleman, who was coming from Ajmer. He was gentle in his manners. He told us about some Mohammedan saints. The train reached Jehanabad and we saw many vendors at the station. We purchased some sweets and ate them. After some time the train whistled and started again.

There was a great rush of passengers. We were greatly disturbed by the vendors who were selling articles by auction. They sold rejected goods and cheated the passengers. Some vendors came to sell oranges and biscuits.

Passing through different stations like Makhadumpur and Bela, the train reached Gaya. There we saw the big platform and met men from different places. Gaya is a place of pilgrimage for Buddhists throughout the world. Monks from different Asian countries visit the temples of Bodhgaya.

We crossed the gate and went to a Dharmashala where we stayed. After taking our meals, we went to hear the message of Sant Vinoba Bhave. It was a very happy journey. We saw many things and gained knowledge. Sant Vinoba’s speech and message of peace to the people were very impressive. He was serving the poor by getting free land for them.

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Conclusion

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