नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने हिंदी कविता (Hindi Poem) “आज की यह सुबह ” लेकर आया हूँ और इस कविता को कमल ‘सत्यार्थी‘ जी ने लिखा है.
कमल सत्यार्थी को 2014 में “बच्चों और युवाओं के दमन के खिलाफ संघर्ष और सभी बच्चों के शिक्षा के अधिकार” के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। सत्यार्थी पहले प्राकृतिक रूप से जन्मे भारतीय नोबेल शांति पुरस्कार विजेता हैं.
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आज की यह सुबह | कमल ‘सत्यार्थी’ | हिंदी कविता
आज की यह सुबह है बहुत प्रीतिकर,
कह रही उठ नया काम कर, नाम कर.
जो अधूरी रही वह सुबह कल गई,
मान ले अब यही कुछ कमी रह गई,
ले नई ताजगी यह सुबह आ गई,
कह रही-मीत उठ, बात कर कुछ नई,
ओ सृजन – दूत तू, शक्ति-संभूत तू,
क्यों खड़ा राह में अश्व यों थाम कर.
दूसरों की बनाई डगर छोड़ दे
, तू नई राह पर कारवाँ मोड़ दे,
फोड़ दे तू शिलाएँ चुनौती भरी
क्रूर अवरोध को निष्करुण तोड़ दे.
व्यर्थ जाने न पाए महापर्व यह
जो स्वयं आ गया आज तेरी डगर .’
अब नए मार्ग पर रथ नए हाँकने,
हर अँधेरे से दीपक लगें झाँकने,
बंद, अज्ञात थी आज तक जो दिशा
उस दिशा को नए नाम हैं बाँटने,
मोड़ लो सूर्य का रथ, विपथ पथ बने
बढ़ चलो विघ्न व्यवधान सब लाँघ कर.
Image Source:digital-photography-school
Conclusion
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रितेश कुमार सिंहा जी को हिंदी की किताबें पढ़ना बहुत ही अच्छा लगता है और कुछ-कुछ कहानी खुद से भी लिखते हैं जो वो हमारे साथ इस ब्लॉग पर शेयर करते रहते हैं. ये हमारे साथ शुरुआत से जुड़े हुए हैं. और ये हमलोगों के सामने कई तरह से कहानी और अलग प्रकार के टॉपिक पर लिखते हैं. इन्होने कंप्यूटर एप्लीकेशन से ग्रेजुएशन किया हुआ है तो ये टेक्निकल ब्लॉग भी शेयर करते हैं.