सफलता की नाव | शैलेंद्र सिंह | हिंदी कहानी

सफलता की नाव हिंदी कहानी: नमस्कार दोस्तों! आज कि ये सफलता की नाव हिंदी कहानी जाने-माने मोटिवेशनल स्पीकर शैलेंद्र सिंह के द्वारा लिखी गयी है.आप एक ग्रोथ स्ट्रैटेजिस्ट, मोटिवेशनल स्पीकर, बिजनेस कंसल्टेंट, लेखक, लाइफ कोच, कॉरपोरेट ट्रेनर और स्पिरिचुअल सिंगर हैं. यह एक छोटी सी कहानी हमें सिखाती हैं कि अगर हमें अपने किसी भी कार्य में सफल होना हैं तो सबसे पहले हमें अपने पिछले दुःख,असफलता सबको पीछे छोड़ना होगा

तो शुरू करते हैं आज का पोस्ट जिसका नाम है-   सफलता की नाव   हिंदी कहानी. अगर आपको कहानियां पढने में अच्छा लगता है तो मेरे ब्लॉग साईट पर आप पढ़ सकते हैं यहाँ आपको कई तरह की कहानियां देखने को मिलेगी. आप लिंक पर क्लिक करके वहाँ तक पहुँच सकते हैं. (यहाँ क्लिक करें)

सफलता की नाव | शैलेंद्र सिंह | हिंदी कहानी

सफलता की नाव – हिंदी कहानी

दो भाई थे. दोनों व्यापारी थे. उन्हें हर हालत में रात में ही सफ़र करके शहर में पहुँचना था. अत: अपनी योजना के अनुसार दोनो भाई रात को नदी पर पहुंच गये.

रात मे वहां बहुत ही ज्यादा घना कोहरा था. आसपास कुछ नहीं दिखाई दे रहा था. जैसे-तैसे उन्हें एक नाव दिखाई दी, उन्होंने नाव ढूँढी और उसमें जाकर बैठ गये. अपने अपने चप्पूओं से वे नाव को खोने लगे.

रात भर उन्होंने खुब मेहनत कि. सुबह तक थकावट हावी होने लगी थी. पूरी रात बीत गई. सुबह जब कोहरा छटा तो उन्हें बुरी तरह झटका लगा. उन्होने देखा कि जिस नाव को अंधेरे में पूरी रात भर खेते रहे हैं, वह अभी भी वही थीं. वह अपनी जगह से आगे नहीं बढ़ी थीं.

अब नाव आगे क्यों नहीं बढ़ी थीं? दरअसल, वह नाव की रस्सी खोलना भूल गये थे, जो किनारे एक खूंटे से बंधी हुई थीं.

हम भी सफल होने के लिऐ बहुत कुछ करना चाहते हैं. उसके लिये प्रयास भी करते हैं. हम आगे तो बढ़ना चाहते हैं पर पिछले दुखों को, असफलताओं को, तकलीफों और समस्याओं को नहीं छोड़ते हैं.

ध्यान रखें यदि हम अपने दुखों को, समस्याओं को, और असफलताओं को नहीं छोड़ेंगे तो वह हमें खुद पकड़ कर, हमें बांध कर रखेंगी. इसलिये बेहतर यही हैं कि उन्हें पीछे छोड़ कर हम आगे की सोचें.

Image Sources: Pixabay

Conclusion:

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