बस दो मील और – नमस्कार दोस्तों! आज कि ये “बस दो मील और” हिंदी कहानी गौतम बुद्ध और उनके प्रिय शिष्य आनंद के बीच की है जब वे दोनों एक शहर से दूसरे शहर जा रहे थे. उसी बीच सफर तय करते हुए बुद्ध ये बतलाने की कोशिश कर रहे है की अगर हमारे जीवन के सफर हमें कोई थोड़ा- थोड़ा ही प्रेरित करे तो कोई भी लक्ष्य आसानी से पाया जा सकता है.
हमारे साथ कुछ मिनटों के लिए जुड़े रहिये और एक छोटी सी हिंदी कहानी का मजा लीजिये और गौतम बुद्ध के सन्देश को जीवन में उतारने के लिए खुद को प्रेरित कीजिए.
तो शुरू करते हैं आज का पोस्ट जिसका नाम है- बस दो मील और –हिंदी कहानी. अगर आपको कहानियां पढने में अच्छा लगता है तो मेरे ब्लॉग साईट पर आप पढ़ सकते हैं यहाँ आपको कई तरह की कहानियां देखने को मिलेगी. आप लिंक पर क्लिक करके वहाँ तक पहुँच सकते हैं. (यहाँ क्लिक करें)
बस दो मील और | गौतम बुद्ध | हिंदी कहानी
एक बार गौतम बुद्ध अपने शिष्य आनंद के साथ विहार कर रहे थे. दोनों बहुत थक गए थे. वे अगले शहर तक सूर्यास्त से पहले पहुंच जाना चाहते थे, अन्यथा उन्हें जंगल में रात बितानी पड़ती.
ऐसे में बुद्ध ने खेत में काम कर रहे एक बूढ़े से पूछा, ‘शहर कितना दूर है?’ उसने जवाब दिया, ज्यादा दूर नहीं. चिंता न कीजिए, मुश्किल से दो मील और, बस आप पहुंच जाएंगे. बुद्ध मुस्कराए. बूढ़ा भी मुस्कराया. आनंद ये देख रहे थे. दो मील का सफर तय हो चुका था. कोई शहर नहीं आया. वे और ज्यादा थक गए थे.
वहां एक बूढ़ी औरत से बुद्ध ने पूछा, ‘शहर यहां से कितनी दूर है?’ वह बोली, ‘दो मील से ज्यादा दूर नहीं. आप बस पहुंच ही गए हैं.’ बुद्ध मुस्कराए और बूढ़ी महिला भी. आनंदसोच रहे थे, ‘इसमें मुस्कराने की क्या बात है?
दो मील के बाद भी शहर नहीं आया. उन्होंने तीसरे आदमी से पूछा. वही प्रश्न और वही जवाब और वही मुस्कराना.
थकान से चूर आनंद ने अपने झोले को जमीन पर रख दिया, “मैं अब और आगे नहीं चलने वाला. मैं थक गया हूं. ऐसा लग रहा है कि हम वो दो मील कभी पार नहीं कर पाएंगे. उस पर लगातार एक सवाल मन में उठ रहा है. ..यह सवाल जरूरी है या गैरजरूरी, नहीं जानता.
लेकिन बताएं कि आप मुस्करा क्यों रहे थे? दो मील रास्ता बताने के बाद आप भी मुस्करा रहे थे और वे भी. इसकी क्या वजह है? आप लोगों के बीच कैसा मौन संवाद हो रहा था?
बुद्ध ने कहा, ‘हमारा धंधा एक ही है. मैं मुस्कराया, वे भी मुस्करा दिए. वे समझ गए कि यह आदमी भी हमारे ही धंधे से जुड़ा है, जहां आप लोगों को प्रेरित करते हैं. बस दो मील और, थोड़ा और.
गौतम बुद्ध बोले, ‘मैंने पूरी जिंदगी यही काम किया है और लोग अंत में पहुंच ही जाते हैं. पर, शुरू में ही अगर हम 15 मील बता दें, तो वे पहले ही हार मान लेंगे. आगे नहीं बढ़ेंगे. पर, दो मील, बस दो मील कहते हुए दो सौ मील का सफर भी पार हो जाता है.
Image Sources: Pixabay
Conclusion:
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रितेश कुमार सिंहा जी को हिंदी की किताबें पढ़ना बहुत ही अच्छा लगता है और कुछ-कुछ कहानी खुद से भी लिखते हैं जो वो हमारे साथ इस ब्लॉग पर शेयर करते रहते हैं. ये हमारे साथ शुरुआत से जुड़े हुए हैं. और ये हमलोगों के सामने कई तरह से कहानी और अलग प्रकार के टॉपिक पर लिखते हैं. इन्होने कंप्यूटर एप्लीकेशन से ग्रेजुएशन किया हुआ है तो ये टेक्निकल ब्लॉग भी शेयर करते हैं.