आषाढ़ का पहला दिन – हिंदी कविता – Hindi Poem – भवानी प्रसाद मिश्र

आषाढ़ का पहला दिन: नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने एक हिंदी कविता (Hindi Poem) और इस कविता को भवानी प्रसाद मिश्र जी ने लिखा है. आशा करता हूँ कि आपलोगों को यह कविता पसंद आएगी.

अगर आपको और हिंदी कवितायेँ पढने का मन है तो आप यहाँ क्लिक कर सकते हैं (यहाँ क्लिक करें).

आषाढ़ का पहला दिन - हिंदी कविता - Hindi Poem - भवानी प्रसाद मिश्र

आषाढ़ का पहला दिन – हिंदी कविता – Hindi Poem – भवानी प्रसाद मिश्र

हवा का ज़ोर वर्षा की झड़ी, झाड़ों का गिर पड़ना
कहीं गरजन का जाकर दूर सिर के पास फिर पड़ना
उमड़ती नदी का खेती की छाती तक लहर उठना
ध्वजा की तरह बिजली का दिशाओं में फहर उठना
ये वर्षा के अनोखे दृश्य जिसको प्राण से प्यारे
जो चातक की तरह तकता है बादल घने कजरारे
जो भूखा रहकर, धरती चीरकर जग को खिलाता है
जो पानी वक्त पर आए नहीं तो तिलमिलाता है
अगर आषाढ़ के पहले दिवस के प्रथम इस क्षण में
वही हलधर अधिक आता है, कालिदास से मन में
तो मुझको क्षमा कर देना।

– भवानी प्रसाद मिश्र

Image Source: Pixabay

तो उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारा यह हिंदी कविता “आषाढ़ का पहला दिन – Hindi Poem “ अच्छा लगा होगा. आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें आप Facebook PageLinkedinInstagram, और Twitter पर follow कर सकते हैं जहाँ से आपको नए पोस्ट के बारे में पता सबसे पहले चलेगा. हमारे साथ बने रहने के लिए आपका धन्यावाद. जय हिन्द.

इसे भी पढ़ें

Leave a Reply