आषाढ़ का पहला दिन: नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने एक हिंदी कविता (Hindi Poem) और इस कविता को भवानी प्रसाद मिश्र जी ने लिखा है. आशा करता हूँ कि आपलोगों को यह कविता पसंद आएगी.
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आषाढ़ का पहला दिन – हिंदी कविता – Hindi Poem – भवानी प्रसाद मिश्र
हवा का ज़ोर वर्षा की झड़ी, झाड़ों का गिर पड़ना
कहीं गरजन का जाकर दूर सिर के पास फिर पड़ना
उमड़ती नदी का खेती की छाती तक लहर उठना
ध्वजा की तरह बिजली का दिशाओं में फहर उठना
ये वर्षा के अनोखे दृश्य जिसको प्राण से प्यारे
जो चातक की तरह तकता है बादल घने कजरारे
जो भूखा रहकर, धरती चीरकर जग को खिलाता है
जो पानी वक्त पर आए नहीं तो तिलमिलाता है
अगर आषाढ़ के पहले दिवस के प्रथम इस क्षण में
वही हलधर अधिक आता है, कालिदास से मन में
तो मुझको क्षमा कर देना।
– भवानी प्रसाद मिश्र
Image Source: Pixabay
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