आह्वन – हिंदी कविता – अशफाक उल्ला खाँ

आह्वन: नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने एक हिंदी कविता (Hindi Poem) और इस कविता को अशफाक उल्ला खाँ जी ने लिखा है. आशा करता हूँ कि आपलोगों को यह कविता पसंद आएगी.

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आह्वन - हिंदी कविता - अशफाक उल्ला खाँ
आह्वन – हिंदी कविता – अशफाक उल्ला खाँ

आह्वन – हिंदी कविता – अशफाक उल्ला खाँ

कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएँगे,
आज़ाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे। 

हटने के नहीं पीछे, डर कर कभी जुल्मों से,
तुम हाथ उठाओगे, हम पैर बढ़ा देंगे। 

बेशस्त्र नहीं है हम, बल है हमें चरखे का,
चरखे से ज़मीं को हम, ता चर्ख गूँजा देंगे। 

परवा नहीं कुछ दम की, गम की नहीं, मातम
की, है जान हथेली पर, एक दम में गवाँ देंगे।

उफ़ तक भी जुबां से हम हरगिज़ न निकालेंगे,
तलवार उठाओ तुम, हम सर को झुका देंगे। 

सीखा है नया हमने लड़ने का यह तरीका,
चलवाओ गन मशीनें, हम सीना अड़ा देंगे। 

दिलवाओ हमें फाँसी, ऐलान से कहते हैं,
खू से ही हम शहीदों के, फ़ौज बना देंगे। 

मुसाफ़िर जो अंडमान के तूने बनाए ज़ालिम,
आज़ाद ही होने पर, हम उनको बुला लेंगे।

-अशफाक उल्ला खाँ

तो उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारा यह हिंदी कविता “आह्वन “ अच्छा लगा होगा जिसे अशफाक उल्ला खाँ जी ने लिखा है. आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें आप Facebook PageLinkedinInstagram, और Twitter पर follow कर सकते हैं जहाँ से आपको नए पोस्ट के बारे में पता सबसे पहले चलेगा. हमारे साथ बने रहने के लिए आपका धन्यावाद. जय हिन्द.

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