संध्या की इस गोधूली में – हिंदी कविता – अजय शोभने

संध्या की इस गोधूली में: नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने एक हिंदी कविता (Hindi Poem) लेकर आया हूँ और इस कविता को अजय शोभने जी ने लिखा है. यह कविता बाबा साहब के संघर्ष को दिखता है. आशा करता हूँ कि आपलोगों को यह कविता पसंद आएगी. अगर आपको और हिंदी कवितायेँ पढने का मन है तो आप यहाँ क्लिक कर सकते हैं (यहाँ क्लिक करें).

संध्या की इस गोधूली में - हिंदी कविता - अजय शोभने

संध्या की इस गोधूली में – हिंदी कविता – अजय शोभने

संध्या की इस गोधूली में, बाबा साहब याद आपकी आ जाती है,
कितना भी रोकूं इस हृदय को, पर नयनों की गागर भर जाती है.

‘जातिवाद’ से लड़ने की ऐसी वो अमिट कहानी है,
संघर्षों की वेदि पर बलि कर दी वही ‘जिन्दगानी’ है.
युगों-युगों तक याद रहेगी तेरी मूल-मंत्र सी वाणी है,
आज हवा बह बह के कहती, बड़ी संघर्ष भरी कहानी है.

संध्या की इस गोधूली में, बाबा साहब याद आपकी आ जाती है,
कितना भी रोकूं इस हृदय को, पर नयनों की गागर भर जाती है.

‘मूल निवासी बहुजनों’ की घनीनिशा के चन्द्र आप हैं,
‘भारतीय संविधान’ के, स्वर्णिम वैभव-जनक आप हैं.
विश्वज्ञानी-विधिवेत्ताओं में सौरमण्डल के सूर्य आप हैं,
हिमालय से भी ऊंची, बाबा साहब की गौरवमयी कहानी है.

संध्या की इस गोधूली में, बाबा साहब याद आपकी आ जाती है,
कितना भी रोकूं इस हृदय को, पर नयनों की गागर भर जाती है.

हवा से विमुख हो, देखो वो, तूफानों से खेल गये हैं,
मानसरोवर के हंसों में, वो परमहंस बन तैर गये हैं.
समता स्थापित कर, बुद्ध के वे बोधिसत्त्व हो गये हैं,
सागर से भी गहरी, बाबा साहब तेरी अमिट कहानी है.

संध्या की इस गोधूली में, बाबा साहब याद आपकी आ जाती है,
कितना भी रोकूं इस हृदय को, पर नयनों की गागर भर जाती है.

अंधकार भरे इस देश के, वो प्रकाशपुन्ज हो गये हैं,
बेसहारों के सहारा बन, वो जगत मसीहा हो गये हैं.
भारत रत्न फीका पड़ गया, वो विश्व रत्न हो गये हैं,
विश्व ज्ञान दिवस पर, करुणामय की अमिट कहानी है.

संध्या की इस गोधूली में, बाबा साहब याद आपकी आ जाती है,
कितना भी रोकूं इस हृदय को, पर नयनों की गागर भर जाती है.

Image Source: Pixabay

तो उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारा यह हिंदी कविता संध्या की इस गोधूली में अच्छा लगा होगा जिसे अजय शोभने जी ने लिखा है. आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें आप Facebook PageLinkedinInstagram, और Twitter पर follow कर सकते हैं जहाँ से आपको नए पोस्ट के बारे में पता सबसे पहले चलेगा. हमारे साथ बने रहने के लिए आपका धन्यावाद. जय हिन्द.

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2 Comments

  1. मुझे (अजय शोभने) इस बात की प्रसन्नता है कि आपने मेरी कविता ‘संध्या की इस गौधूली में’ को एक अच्छा लुक देकर प्रकाशित किया। आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ, आपका सदप्रयास बहुत ही सराहनीय है। बहुत बहुत साधुवाद।

    • हमें बहुत ख़ुशी हुई कि आपने अपना कीमती वक़्त दिया. कृपया मोबाइल नम्बर कमेंट बॉक्स में न दें.
      – धन्यवाद्

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