चाँदनी रात है जवानी भी | हंसराज रहबर | हिन्दी कविता

नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने हिंदी कविता (Hindi Poem) चाँदनी रात है जवानी भी लेकर आया हूँ और इस कविता को हंसराज रहबर (Hansraj Rahbar) जी ने लिखा है.

आशा करता हूँ कि आपलोगों को यह कविता पसंद आएगी. अगर आपको और हिंदी कवितायेँ पढने का मन है तो आप यहाँ क्लिक कर सकते हैं (यहाँ क्लिक करें).

चाँदनी रात है जवानी भी | हंसराज रहबर | हिन्दी कविता

चाँदनी रात है जवानी भी | हंसराज रहबर | हिन्दी कविता

चाँदनी रात है जवानी भी,
कैफ़ परवर भी और सुहानी भी.

हल्का-हल्का सरूर रहता है,
ऐश है ऐश ज़िन्दगानी भी.

दिल किसी का हुआ, कोई दिल का,
मुख़्तसर-सी है यह कहानी भी.

दिल में उलफ़त, निगाह में शिकवे
लुत्फ़ देती है बदगुमानी भी.

बारहा बैठकर सुना चुपचाप,
एक नग़मा है बेज़बानी भी.

बुत-परस्ती की जो नहीं कायल
क्या जवानी है वो जवानी भी.

इश्क़ बदनाम क्यों हुआ ‘रहबर’
कोई सुनता नहीं कहानी भी.

Conclusion

तो उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारा यह हिंदी कविता चाँदनी रात है जवानी भी अच्छा लगा होगा जिसे हंसराज रहबर (Hansraj Rahbar) जी ने लिखा है. आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें आप Facebook Page, Linkedin, Instagram, और Twitter पर follow कर सकते हैं जहाँ से आपको नए पोस्ट के बारे में पता सबसे पहले चलेगा. हमारे साथ बने रहने के लिए आपका धन्यावाद. जय हिन्द.

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Pixabay: [1]

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