जादू की बांसुरी – हिंदी कहानी

नमस्कार दोस्तों आज मैं आपके सामने एक हिंदी कहानी फिर से लेकर आगया हूँ जिसका नाम है: जादू की बांसुरी. आशा करता हूँ कि आप लोगों को यह कहानी बहुत पसंद आयेगी.

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जादू की बांसुरी - हिंदी कहानी
जादू की बांसुरी – हिंदी कहानी

जादू की बांसुरी – हिंदी कहानी

एक पहाड़ी के ऊपर कुछ परियों ने आकर अपना घर बनाया, पास ही में एक गांव भी था. परियां भी गांव वालों के साथ उन्हीं के सामने रहने लगी. घाटियों में घूमना, फल-फूल खाना, सभी कार्य वे अपना रूप और भेष बदलकर किया करती थी. गांव वाले इस बात से पूरी तरह अनभिज्ञ थे.

परियां की यह विशेषता थी कि जो भी व्यक्ति उनसे बुरा व्यवहार करता था, वे उसको शाप दे देती थी और जो उनके साथ अच्छा व्यवहार करता था, उसको वे पुरस्कार और वरदान दोनों ही देती थी. 

एक दिन की बात है कि तीन परियां भेष बदल कर धन्नू किसान के घर पहुँची. वह अपने घर में उस समय अकेला था, खाना बना चुकने के पश्चात् वह बाहर में बैठा हुआ कोई गीत गुनगुना रहा था. वह जब भी खाली समय पाता, तो गाने लगता था. तीन व्यक्त्यिों को देखकर पहले तो आश्चर्य हुआ, फिर पूछा-आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ?

उनमें से एक कहा-हमलोग मुसाफिर हैं रास्ता भूल गए हैं. रात भर आराम करना चाहते हैं, सुबह होते ही हम आगे चल देंगे.

दूसरा बोला-हमलोगों को बड़ी भूख लगी है. तीसरे ने कहा-कुछ खाने को मिल जाय तो…..

धन्नू ने धार में से चारपाई निकालकर बाहर बिछा दी. फिर कहा-आपलोग आराम कीजिए, तब तक आपलोगों के लिए खाने का प्रबन्ध करता हूँ.

परियां बैठ गई, थोड़ी देर में धन्नू ने खाने का सामान लाकर उनके आगे रख दिया. तीनों व्यक्ति खाने में जुट गए.

इसी बीच धन्नू उनके सोने के लिए विस्तरों का प्रबन्ध करने लग गया, जब वे खाना खा चुके तो उसने उन्हें पानी पिलाया.

तभी आगन्तुओं में से एक बोला-तुम्हें जो कुछ भी चाहिए मुझसे माँग लो तुम्हारे इस एहसान के लिए हम सदैव ऋणी रहेंगे.

धन्नू बोला-हमारे पास जितना और जो कुछ है हमलोग उसी में प्रसन्न हैं. 

दूसरा बोला-ठीक है, फिर भी जो वस्तु तुम सबसे अधिक पसंद करते हो-वही मांग लो.

धन्नू ने उत्तर दिया-मुझे ऐसी बांसुरी चाहिए, जिसे बजाते हुए जितने लोग सुने वे नाचने लगे. तीसरे व्यक्ति ने अपने झोले में हाथ डाला और बांसुरी निकालकर देते हुए कहा लो ! यह वैसी ही बांसुरी है, जैसा तुम चाहते हो. 

धन्नू उसे हाथ में लेकर देखने लगा, इसी बीच तीनों व्यक्ति गायब हो गए. उसे आश्चर्य का ठिकाना न रहा. आज वह बहुत प्रसन्न था, क्योंकि उसको इच्छित वस्तु उसे मिल चुकी थी.

अब जब भी धन्नू को खाली समय मिलता, वह बांसुरी बजाने लगता. उसकी बांसुरी की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैल गई, जो लोग उसकी बांसुरी सुनने आते वे नाचने लगते थे.

धन्नू का एक पड़ोसी था, धन्नू से बेहद ईर्ष्या रखता था. वह प्रतिदिन कहता था कि बांसुरी झूठी है. पड़ोसियों की बातें सुनकर उसे बहुत क्रोध आता और वह बदला लेने की बात सोचने लगा. 

एक दिन उसका पड़ोसी आया और बोला….धन्नू ! सुना है तुम्हारे पास जादू की बांसुरी. है, जिसकी धुनों पर सबलोग नाचने लगते है.. जरा दिखाओ? 

पहले तो धन्नू ने यह स्वीकार नहीं किया किन्तु पड़ोसी के हठ करने पर वह बजाने लगा. बांसुरी की धुन पर वह नाचने लगा, धन्नू बजाता गया और वह नाचने लगा. तब उसको धन्नू ! मैं जान गया कि सचमुच यह जादू की बांसुरी है. अब इसे बजाना बंद कर दो ? किन्तु धन्नू ने एक न सुनी.

अंत में जब पड़ोसी नाचता-नाचता गिर पड़ा, तो धन्नू ने उसे बजाना बंद किया.

परियां जिन्होंने धन्नू को यह जादू भरी बांसुरी दी थी, इस घटना को बाहर दूर से देख रही थी. उन्होंने आपस में निश्चय किया कि धन्नू से जादू की बांसुरी ले ली जाए, क्योंकि उस मनुष्य को कोई उपहार नहीं देना चाहिए जो जान-बुझकर दुसरों को सताए या दिल दुखाए. यह निश्चय कर वे परियां पुनः उन्हीं तीनों का वेष धारण कर धन्नू के पास पहुंची पूछा-बांसुरी तो ठीक रही है न?

धनू ने उत्तर दिया-जी हाँ ! सचमुच वह जादू भरी बांसुरी है, जो भी सुनता है नाचने लगता है. लेकिन हम अपना बांसुरी वापिस लेने आए हैं, उन्होंने कहा. जो जान-बूझकर दूसरों को सताता और दिल दुखाता है जादू बांसुरी को अपने पास रखने का वह अधिकार नहीं बन सकता. हमने तुम्हारी दयालुता से खुश होकर बांसुरी का उपहार तुम्हें दिया था, किन्तु तुमने अपने पड़ोसी को सताकर हमें नाराज कर दिया है. 

वह पड़ोसी मुझे चिढ़ाता जो था. धन्नू बोला.

परी बोली. मनुष्य वही अच्छा होता है जो किसी भी परिस्थिति में अपना धैर्य धीरज और सहनशक्ति नहीं छोड़ता है. तुमने जरा-सी बात पर अपना संतुलन खो दिया, इसलिए हमारे बांसुरी हमें लौटा दो. 

धन्नू को अब अपनी गलती का पता चला, उसने परियों से क्षमा मांगी और कहा मैं अपनी भूल के लिए लज्जित हूँ. मुझे क्षमा कर दें और बांसुरी वापिस न ले जाएं. यह कहने के साथ धन्नू रोने लगा. 

परियों को उसके रोने पर दया आ गई उनमें से एक बोली रोकर तुमने अपनी भूल का प्रायश्चित कर लिया है. इसलिए हम बांसुरी तुम्हारे पास ही रहने देंगे.

धन्नू रोकर बोला….पुज्यगणों ! बांसुरी तो आपने लौटा दी, मुझ पर दया कर उसका जादू भी लौटा दो?  तीसरी को दया उपजी बोली जादू तो आज लौट नहीं सकेगा. किन्तु मैं एक वरदान देती हूँ यदि तुम बांसुरी पर स्वर साधने का कठोर अभ्यास करोगे तो लोग तुम्हें फिर पूजने लगेंगे. जब भी तुम अच्छे काम के लिए बांसुरी बजाओगे तो पहले की भांति नाचने भी लगेंगे.

Conclusion

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