नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने हिंदी कहानी “प्रमाद में पड़े हुए की पहचान” लेकर आया हूँ. यह यह कहानी भगवान बुद्ध और भिक्षु संग्राम के बीच एक सवांद से प्रेरित है. इस कहानी में बुद्ध संदेश देते हैं कि कैसे मनुष्य एक कष्ट से मुक्त होकर वह दुसरे कष्ट की ओर जाता है.
तो शुरू करते हैं आज का पोस्ट जिसका नाम है- प्रमाद में पड़े हुए की पहचान. अगर आपको कहानियां पढने में अच्छा लगता है तो मेरे ब्लॉग साईट पर आप पढ़ सकते हैं यहाँ आपको कई तरह की कहानियां देखने को मिलेगी. आप लिंक पर क्लिक करके वहाँ तक पहुँच सकते हैं. (यहाँ क्लिक करें)
![प्रमाद में पड़े हुए की पहचान | गौतम बुद्ध | हिन्दी कहानी 7 Moral प्रमाद में पड़े हुए की पहचान | गौतम बुद्ध | हिन्दी कहानी](https://7moral.com/wp-content/uploads/2021/11/pramaad-mein-pade-hue-kee-pahachaan-gautam-buddh-hindi-kahaani-e1636119477676.jpg)
प्रमाद में पड़े हुए की पहचान | गौतम बुद्ध | हिन्दी कहानी
एक दिन कि बात है भिक्षु संग्राम ने भगवान बुद्ध से पूछा-“भगवन्! संसार के प्रमाद में पड़े हुए की क्या पहचान है?” भगवान बुद्ध ने उस समय कोई उत्तर न दिया और अन्य बातें करते रहे.
अगले दिन कुंडिया राज्य की राजकुमारी सुप्पवासा के यहाँ उनका भोजन था. सुप्पवासा सात वर्ष तक गर्भ धारण करने का कष्ट भोग चुकी थी. भगवान बुद्ध की कृपा से ही उसे इस कष्ट से छुटकारा मिला था, इसी प्रसन्नता में वह भिक्षु संघ को भोजन दे रही थी.
जब सुप्पवासा तथागत( भगवान बुद्ध ) को भोजन करा रही थी, उसी समय उसका पति नवजात शिशु को गोद में लिए निकट खड़ा था. सात वर्ष तक गर्भ में रहने के कारण वह बालक जन्म से ही विकसित था.
दिखने में भी संदर था. उस बालक कि हँसने और क्रीड़ा करने की गतिविधियाँ बड़ी मनमोहक थीं. वह बार-बार माँ की गोद में जाने के लिए मचल रहा था. भगवान बुद्ध ने मुस्कराते हुए पूछा-‘बेटी सुप्पवासा! अगर तुझे ऐसे पुत्र मिलें तो कितने और पुत्रों की कामना तू कर सकती है?”
सुप्पवासा ने कहा-“भगवन्! अभी सात बार और इसी तरह गर्भधारण की मेरी कामना है।” भिक्षु संग्राम निकट ही बैठे थे.
राजकुमारी सुप्पवासा का उत्तर सुन उनको बहुत आश्चर्य हुआ कि कल तक जो प्रसव-पीड़ा से व्याकुल थी और उससे मुक्ति का मार्ग ढूँढ़ रही थी, वो आज फिर से पुत्रों की कामना कर रही है.
भगवान बुद्ध भिक्षु को देखकर मुस्कराए और बोले-“वत्स! तुम्हारे कल के प्रश्न का यही उत्तर है. मनुष्य एक कष्ट से मुक्त नहीं हो पाता कि वह दूसरी कामना की पूर्ति में आसक्त हो जाता है. इसीलिए वह कभी संसार चक्र से निकल नहीं पाता.”
Image Sources: hindisahityadarpan
Conclusion:
तो उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारा यह हिंदी कहानी “ प्रमाद में पड़े हुए की पहचान ” पढकर अच्छा लगा होगा. अगर आपको जरा सा भी अच्छा लगा तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें आप Facebook Page, Linkedin, Instagram, और Twitter पर follow कर सकते हैं जहाँ से आपको नए पोस्ट के बारे में पता सबसे पहले चलेगा. हमारे साथ बने रहने के लिए आपका धन्यावाद. जय हिन्द.
इसे भी पढ़ें
- परमात्मा की अनुभूति का मार्ग | मुल्ला नसरुद्दिन | हिंदी कहानी
- रोने की आदत | मुल्ला नसरुद्दिन | हिंदी कहानी
- अप्प दीपों भव: – गौतम बुद्ध – हिंदी कहानी
- सोलोन की सीख – Hindi Story
- नोट और हमारी कीमत – हिंदी कहानी
![प्रमाद में पड़े हुए की पहचान | गौतम बुद्ध | हिन्दी कहानी 7 Moral Michelangelo Short Story In Hindi](https://7moral.com/wp-content/uploads/2020/12/ritesh-kumar-sinha-e1608628790139.jpg)
रितेश कुमार सिंहा जी को हिंदी की किताबें पढ़ना बहुत ही अच्छा लगता है और कुछ-कुछ कहानी खुद से भी लिखते हैं जो वो हमारे साथ इस ब्लॉग पर शेयर करते रहते हैं. ये हमारे साथ शुरुआत से जुड़े हुए हैं. और ये हमलोगों के सामने कई तरह से कहानी और अलग प्रकार के टॉपिक पर लिखते हैं. इन्होने कंप्यूटर एप्लीकेशन से ग्रेजुएशन किया हुआ है तो ये टेक्निकल ब्लॉग भी शेयर करते हैं.