नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने हिंदी कविता (Hindi Poem) “कविता का सूरज” लेकर आया हूँ और इस कविता को हरभगवान चावला (Harbhagwan Chawla) जी ने लिखा है.
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कविता का सूरज | हरभगवान चावला | हिन्दी कविता
कविता मेरी आत्मा का सूरज है
इस सूरज के उजाले में
दिपदिपा उठते हैं मेरी आत्मा के रत्न
सोया प्रेम जागता है
उनींदी घृणा फुफकारती है
फड़फड़ा उठते हैं गुह्य संवेदन
एक-एक कर लुप्त हो जाते हैं
सारे आवरण
मैं शिशु-सा आवरणहीन होता हूँ
आत्मा के धरातल पर
जब मेरे सामने होता है
कविता का सूरज-
मेरी आत्मा का सर्वश्रेष्ठ सृजन.
Conclusion
तो उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारा यह हिंदी कविता “कविता का सूरज” अच्छा लगा होगा जिसे हरभगवान चावला (Harbhagwan Chawla) जी ने लिखा है. आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें आप Facebook Page, Linkedin, Instagram, और Twitter पर follow कर सकते हैं जहाँ से आपको नए पोस्ट के बारे में पता सबसे पहले चलेगा. हमारे साथ बने रहने के लिए आपका धन्यावाद. जय हिन्द.
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मुझे नयी-नयी चीजें करने का बहुत शौक है और कहानी पढने का भी। इसलिए मैं इस Blog पर हिंदी स्टोरी (Hindi Story), इतिहास (History) और भी कई चीजों के बारे में बताता रहता हूँ।