नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने हिंदी कविता (Hindi Poem) “मायाजाल” लेकर आया हूँ और इस कविता को हरभगवान चावला (Harbhagwan Chawla) जी ने लिखा है.
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मायाजाल | हरभगवान चावला | हिन्दी कविता
मैं जानता हूँ
क़ब्र से ऊँचा नहीं है मेरा क़द
मेरे दोस्तो!
पर तुम मुझे हिमालय कहो
मैं जानता हूँ
किसी भी तर्क या विचार से
ज़्यादा असरदार है प्रचार
प्रचार की ताक़त से
रच दिए जा सकते हैं
ऐसे-ऐसे मायाजाल
कि जिनके धुंधलके में
विलीन हो जाएँ
तमाम तार्किक संरचनाएँ
मायाजाल रचना आता हो तो
टनों दूध पी जाती हैं पत्थर की मूर्तियाँ
जन्म से विकृत बच्चे देवता हो जाते हैं
लोगों को भेड़ों में बदल देते हैं धर्मगुरु
यही मायाजाल झूठ को स्थापित करता है
सच की तरह
सबसे बड़े सूरमा हो जाते हैं
अख़बारों में लड़ने वाले
काठ के योद्धा
कुछ भी संभव है इस मायावी देश में
मेरे दोस्तो!
तुम क़ब्र पर जमाते जाओ
प्रशंसा की मायावी बर्फ़ की परतें
एक दिन हिमालय हो जाएगी यह क़ब्र
और क़ब्र की आड़ में अदृश्य खड़ा होगा
सचमुच का हिमालय.
Conclusion
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मुझे नयी-नयी चीजें करने का बहुत शौक है और कहानी पढने का भी। इसलिए मैं इस Blog पर हिंदी स्टोरी (Hindi Story), इतिहास (History) और भी कई चीजों के बारे में बताता रहता हूँ।