निर्झरी | सुमित्रानंदन पंत | हिन्दी कविता

नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने हिंदी कविता (Hindi Poem) निर्झरी लेकर आया हूँ और इस कविता को सुमित्रानंदन पंत (Sumitranandan Pant) जी ने लिखा है.

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निर्झरी | सुमित्रानंदन पंत | हिन्दी कविता
निर्झरी | सुमित्रानंदन पंत | हिन्दी कविता

निर्झरी – सुमित्रानंदन पंत – हिन्दी कविता

यह कैसा जीवन का गान
अलि, कीमत कल मल टल मल?
अरी शैल बाले नादान,
यह अविरल कलकल छल छल?

झर मर कर पत्रों के पास,
रण मण रोड़ों पर सायास,
हँस हँस सिकता से परिहास
करती हो अलि, तुम झलमल !

स्वर्ण बेली-सी खिली विहान,
निशि में तारों की-सी यान;
रजत तार – सी शुचि रुचिमान
फिरती हो रंगिणि, रल मल !

दिखा भंगिमय भृकुटि विलास
उपलों पर बहु रंगी लास,
फैलाती हो फेनिल हास,
फूलों के कूलों पर चल.

अलि, यह क्या केवल दिखलाव,
भूल व्यथा का मुखर भुलाव ?
अथवा जीवन का बहलाव ?
सजल आँसुओं की अंचल !

Conclusion

तो उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारा यह हिंदी कविता निर्झरी अच्छा लगा होगा जिसे सुमित्रानंदन पंत (Sumitranandan Pant) जी ने लिखा है. आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें आप Facebook Page, Linkedin, Instagram, और Twitter पर follow कर सकते हैं जहाँ से आपको नए पोस्ट के बारे में पता सबसे पहले चलेगा. हमारे साथ बने रहने के लिए आपका धन्यावाद. जय हिन्द.

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Pixabay: [1]

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