सोलोन की सीख – Hindi Story

सोलोन की सीख हिंदी कहानी: नमस्कार दोस्तों! आज कि ये  सोलोन की सीख  हिंदी कहानी  युनान के महान मनीषी सोलोन (born c. 630 BCE – died c. 560 BCE) के जीवन से प्रेरित हैं जो युनान के महान राजनेता और कवि थे  इन्हें युनान के सात बुद्धिमान पुरुषों में से एक के रूप में जाना जाता है. उनके दो प्रमुख कथन हैं-

Learn to obey before you command. Put more trust in nobility of character than in an oath.

तो शुरू करते हैं आज का पोस्ट जिसका नाम है-  सोलोन की सीख हिंदी कहानी. अगर आपको कहानियां पढने में अच्छा लगता है तो मेरे ब्लॉग साईट पर आप पढ़ सकते हैं यहाँ आपको कई तरह की कहानियां देखने को मिलेगी. आप लिंक पर क्लिक करके वहाँ तक पहुँच सकते हैं. (यहाँ क्लिक करें)

सोलोन की सीख - Hindi Story
सोलोन की सीख – Hindi Story

सोलोन की सीख – Hindi Story

युनान में एक सम्राट ने उन दिनों युनान के एक महाविद्वान सोलोन को अपने राजमहल बुलाया . सोलोन एक सुकरात जैसे मनीषी थे . सम्राट ने सोलोन को बुलाया था . क्योंकि सोलोन कि बहुत ख्याति थीं . फिर सोलोन क एक – एक शब्द का मुल्य अकूत था. राजा को उम्मीद थी कि सोलोन जब उसका महल देखेगा तो जरूर कहेगा कि आप जैसा सुखी कोई नहीं हैं .

सोलोन आया. उसे महल घुमाकर दिखाया गया . उसके पास बहुत दौलत थी . महल भी बहुत सुंदर था. पर, सोलोन चुप हो गया. गंभीर होता गया. उदास हो गया, जैसे सम्राट मरने को पड़ा हो और वह उसे देखेने आया हो . आखिर सम्राट ने पूछा, ‘ क्या बात हैं ? क्या तुमने मुझ जैसा सुखी कोई और देखा हैं ? मुझे लगता हैं कि मैं परम सुखी हूँ .

सोलोन ने कहा मैं चुप ही रहू, वही अच्छा हैं . जो ची़ज शाश्वत नहीं हैं, उसे मैं सुख नहीं मानता . यह सब दुख हैं . तुम सुख समझ रहे हो तुम मुर्ख हो . सम्राट को धक्का लगा . सोलोन चुप ही रहता तो अच्छा था. सोलोन को महल के एक खंभे से बन्धवाकर सम्राट ने कहा, ‘ अभी भी माफी माँग लो . कह दो कि सम्राट तुम परम सुखी हो. सोलोन बोला, मरना ही तो हैं, कैसे मर रहा हूँ , इसमें क्या फर्क पड़ता हैं. मैं झूठ नहीं कहूँगा . सोलोन को गोली मार दी गयी .

फिर दस वर्षो के बाद , सम्राट पराजित हुआ . विजेता ने सम्राट को उसी खंभे पर लटका दिया . गोली मारे जाने को थीं, तब सम्राट को सोलोन को याद आई . उसके शब्द सुनाई पड़े , “जो शाश्वत नहीं वह सुख नहीं है. जो क्षणभंगुर है उसका कोई मूल्य नहीं हैं.” सम्राट ने आखें बंद कर ली . वह अपने को भुल ही गया . उसने कहा, “सोलोन मुझे माफ कर दो . तुम ही सही थे.वह जो हमें सुख मालूम होता है, वह सुख नहीं हैं. और वह जो हमें सुख जैसा मालुम होता हैं , उसके लिये हम सबको दुख देते हैं.”  

Image Sources: Pixabay

Conclusion:

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