नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने हिंदी शायरी (Hindi Poetry) “दायम पड़ा हुआ तेरे दर पर नहीं हूं मैं” लेकर आया हूँ और इस कविता को मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib) जी ने लिखा है.
आशा करता हूँ कि आपलोगों को यह कविता पसंद आएगी. अगर आपको और हिंदी शायरीयेँ पढने का मन है तो आप यहाँ क्लिक कर सकते हैं (यहाँ क्लिक करें).
दायम पड़ा हुआ तेरे दर पर नहीं हूं मैं – मिर्ज़ा ग़ालिब – हिंदी शायरी
दायम पड़ा हुआ तेरे दर पर नहीं हूं मैं
ख़ाक ऐसी ज़िन्दगी पे कि पत्थर नहीं हूं मैं
कयों गरदिश-ए-मुदाम से घबरा न जाये दिल
इनसान हूं पयाला-ओ-साग़र नहीं हूं मैं
या रब ! ज़माना मुझको मिटाता है किस लिये
लौह-ए-जहां पे हरफ़-ए-मुकररर नहीं हूं मैं
हद चाहिये सज़ा में उकूबत के वासते
आख़िर गुनहगार हूं, काफ़िर नहीं हूं मैं
किस वासते अज़ीज़ नहीं जानते मुझे ?
लालो-ज़मुररुदो-ज़र-ओ-गौहर नहीं हूं मैं
रखते हो तुम कदम मेरी आंखों में कयों दरेग़
रुतबे में मेहर-ओ-माह से कमतर नहीं हूं मैं
करते हो मुझको मनअ-ए-कदम-बोस किस लिये
क्या आसमान के भी बराबर नहीं हूं मैं
‘ग़ालिब’ वज़ीफ़ाख़वार हो, दो शाह को दुआ
वो दिन गये कि कहते थे, “नौकर नहीं हूं मैं”
Conclusion
तो उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारा यह हिंदी शायरी “दायम पड़ा हुआ तेरे दर पर नहीं हूं मैं” अच्छा लगा होगा जिसे मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib) जी ने लिखा है. आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें आप Facebook Page, Linkedin, Instagram, और Twitter पर follow कर सकते हैं जहाँ से आपको नए पोस्ट के बारे में पता सबसे पहले चलेगा. हमारे साथ बने रहने के लिए आपका धन्यावाद. जय हिन्द.
इसे भी पढ़ें
- सांध्यगीत महादेवी वर्मा
- नीरजा – महादेवी वर्मा – हिंदी कविता
- रश्मि महादेवी वर्मा (Rashmi Mahadevi Verma)
- नीहार (Neehar) – महादेवी वर्मा की कविता
- ज्योतिष्मती | महादेवी वर्मा हिंदी कविता
- उषा – महादेवी वर्मा हिंदी कविता
- फणीश्वरनाथ रेणु की कविताएँ (Poems of Phanishwarnath ‘Renu’ in Hindi)
- सुबह | अशोक वाजपेयी | हिंदी कविता
- आज की यह सुबह | कमल ‘सत्यार्थी’ | हिंदी कविता
- चाहिये, अच्छों को जितना चाहिये | मिर्ज़ा ग़ालिब | हिंदी शायरी
मुझे नयी-नयी चीजें करने का बहुत शौक है और कहानी पढने का भी। इसलिए मैं इस Blog पर हिंदी स्टोरी (Hindi Story), इतिहास (History) और भी कई चीजों के बारे में बताता रहता हूँ।