प्रेम की महता किसे – हिंदी कहानी

प्रेम की महता किसे – हिंदी कहानी: नमस्कार दोस्तों! आज कि ये हिंदी कहानी प्रेम की महता किसे थोरी अलग है लेकिन आपको पढने में अच्छा लगेगा. आपके बहुमूल्य समय को व्यर्थ नहीं जाने देंगे. हम आपकी समय कि कद्र करते हैं जो आपने अपना समय हमें दिया. हो सकता है आपने इससे मिलते-जुलते कहानी को कभी पढ़ा भी होगा और अगर नहीं पढ़ा है तो हमारे साथ कुछ मिनटों के लिए जुड़े रहिये और एक छोटी सी हिंदी कहानी का मजा लीजिये.

तो शुरू करते हैं आज का ये एक छोटी लेकिन दमदार हिंदी कहानी- प्रेम की महता किसे. अगर आपको हिंदी कहानियां पढने में अच्छा लगता है तो मेरे ब्लॉग साईट पर आप पढ़ सकते हैं यहाँ आपको कई तरह की कहानियां देखने को मिलेगी. आप लिंक पर क्लिक करके वहाँ तक पहुँच सकते हैं. (यहाँ क्लिक करें)

प्रेम की महता किसे - हिंदी कहानी

प्रेम की महता किसे – हिंदी कहानी

एक बार कि बात हैं, सभी भाव व अहसास मिलकर छूट्टी मानाने किसी द्वीप पे गए . सभी अपने स्वाभाव के अनुसार मजा ले रहे थे . अचानक एक भयंकर तूफान आने कि चेतावनी देते हुए सभी को द्वीप छोरकर जाने को कहा गया . अचानक हुई घोषणा से अफरातफरी मच गयी . सभी अपनी नावों कि ओर भागने लगे. जिनकी नाव टूट-फुट गयी थी, वे भी तुरंत उसे ठीक करने लगे .

प्रेम को हरबरी नहीं थी . उसे अभी बहुत कुछ करना था . लेकिन जैसे-जैसे बदल घहराने लगे . प्रेम को लगा कि अब यहाँ से जाने का समय आ गया है. लेकिन अब वहां कोई नाव नहीं थी . प्रेम आशा से सब ओर देखने लगा . तभी खुशहाली एक आलिशान नाव पे बैठी दिखाई दी.’खुशहाली ‘ क्या तुम अपने नाव में जगह दोगी?’ ‘नहीं’ मेरे नाव में बहुत सारा धन, सोना-चांदी रखा हुआ है उसमे और जगह नहीं है .खुशहाली ने कहा.

थोरी देर बाद सुंदरता नाव पर जाती हुई दिखाई दी . प्रेम चिल्लाया,’मैं पीछे छुट गया हूँ . मुझे भी अपने साथ लेकर चलोगी . सुंदरता ने घमंड से कहा, ’मिट्टी और कीचर में सने तुम्हारे पैरों से मेरी नाव गन्दी हो जाएगी . कुछ देर बाद दुःख वहां से गुजरा . मदद मागें जाने पर उसने कहा,’मैं बहुत दुखी हूँ और अकेला रहना चाहता हूँ’. ख़ुशी इतनी खुश थी कि उसे प्रेम कि आवाज सुनायी ही नहीं दी.

प्रेम उपेक्षित महसूस करने लगा . उसे लगा कि किसी को उसकी जरूत नहीं हैं. ‘आओ प्रेम मैं तुम्हें अपने साथ लेकर चलूँगा ‘. प्रेम आवाज को पहचान नहीं पाया ,पर देर ने लगाते हुए नाव पे बैठ गया . अब वह निश्चिंत था. नाव से उतरने के बाद प्रेम को ज्ञान मिला . विचारों में उलझें प्रेम ने पूछा,’ज्ञान,क्या तुम बता सकते हो कि किसने मेरी मदद की ?’ ज्ञान ने कहा, वह समय था.

‘समय मेरी मदद क्यों करेगा ?’ ज्ञान मुस्कराते हुए बोला, ‘क्योंकि समय ही आपकी महानता जनता है और यह भी कि आप क्या कर सकते हैं . अक्सर खुशहाली, ख़ुशीऔर दुःख में हम प्रेम को नज़रंदाज़ कर देते . समय के साथ ही हमें जीवन में प्यार का महत्व समझ आता हैं ’.

Conclusion

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