साहसी कछुआ – हिंदी कहानी: नमस्कार दोस्तों! आज कि ये हिंदी कहानी “साहसी कछुआ” थोरी अलग है लेकिन आपको पढने में अच्छा लगेगा. आपके बहुमूल्य समय को व्यर्थ नहीं जाने देंगे. हम आपकी समय कि कद्र करते हैं जो आपने अपना समय हमें दिया. हो सकता है आपने इससे मिलते-जुलते कहानी को कभी पढ़ा भी होगा और अगर नहीं पढ़ा है तो हमारे साथ कुछ मिनटों के लिए जुड़े रहिये और एक छोटी सी हिंदी कहानी का मजा लीजिये.
तो शुरू करते हैं आज का ये एक छोटी लेकिन दमदार हिंदी कहानी- साहसी कछुआ. अगर आपको हिंदी कहानियां पढने में अच्छा लगता है तो मेरे ब्लॉग साईट पर आप पढ़ सकते हैं यहाँ आपको कई तरह की कहानियां देखने को मिलेगी. आप लिंक पर क्लिक करके वहाँ तक पहुँच सकते हैं. (यहाँ क्लिक करें)

साहसी कछुआ – हिंदी कहानी
एक बार कि बात हैं कि एक कछुआ जहाज पर रहता था. जहाज डूब गया. कुछ समय बाद कछुए ने खुद को ऐसी जगह पाया, जहाँ सब ओर पानी था. सिवाय एक तरफ जो कि विशाल, पथरीला ,और ऊँचा पहाड़ था.कछुआ कई दिनों से भूखा था. खाने को कुछ नहीं मिल रहा था. कछुए को अपनी मौत करीब दिखाई देने लगी. इस उम्मीद के साथ कि उस पार पहुचनें के बाद सिथितियाँ सब ठीक हो जाएगी, कछुए ने पहाड़ चढने का फैसला किया.
जैसे–जैसे चढ़ाई शुरू हुई ,बर्फ से ढका पहाड़ परेशानी खरी करने लगा. ठंड से जमने जैसी हालत होने लगी. कछुए को एक छोटा सा तंग रास्ता दिखाई दिया, जो पहाड़ के दूसरी तरफ़ जा रहा था. समस्या यह थी कि उस रास्ते पर राक्षसों का कब्ज़ा था. जो अब चिल्ला रहे थे. उह-उह की अजीब सी आवाजें वहां से आ रही थी.
कछुआ बुरी तरह डर गया. वह अपना सिर खोल के अन्दर ले जाने कि सोच रहा था. परन्तु जब उसने अपने चारो तरफ देखा तो वहां कई मृत पशु परे दिखाई दिए. उसे वे चेहरें डर व भये से दिखाई दिए. कछुए ने फैसला किया कि वह अपने खोल के अन्दर नहीं जायेगा. नहीं तो वह भी दुसरें साथियों कि तरह यहीं परे परे मर जायेगा. ऐसा सोचते ही उसने साहस जुटाते हुए आगे बढ़ने का फैसला किया.
वह राक्षस वाली दिशा में आगे बढ़ने लगा. जितना वह पास जा रहा था, उसे राक्षस का आकर बदलता दिखाई देता जा रहा था. जब वह बिल्कुल अंतिम सिरे तक पहुँच गया, तो उसे लगा कि जिसे वह राक्षस समझ रहा था, वह उंची-नीची पहारीयां थी, जिसने एक भयावह आकार ले लिया था. उह-उह कि आवाज भी और कुछ नहीं, उस छोटी गुफा से होकर बह रही हवा थी.
कछुआ चलता जा रहा था और अंततः उसने खुद को एक सुंदर घाटी में पाया. वहां लकरियां ही लकरियां, बहुत सारा खाने का भोजन भी. वह वहां ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगा और कुछ समय बाद हर जगह वह साहसी छोटा कछुआ नाम से मशहूर हो गया.
Image Sources: Pixabay
Conclusion
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रितेश कुमार सिंहा जी को हिंदी की किताबें पढ़ना बहुत ही अच्छा लगता है और कुछ-कुछ कहानी खुद से भी लिखते हैं जो वो हमारे साथ इस ब्लॉग पर शेयर करते रहते हैं. ये हमारे साथ शुरुआत से जुड़े हुए हैं. और ये हमलोगों के सामने कई तरह से कहानी और अलग प्रकार के टॉपिक पर लिखते हैं. इन्होने कंप्यूटर एप्लीकेशन से ग्रेजुएशन किया हुआ है तो ये टेक्निकल ब्लॉग भी शेयर करते हैं.