एक सुनहली किरण उसे भी दे दो | कीर्ति चौधरी | हिंदी कविता

नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने हिंदी कविता (Hindi Poem) “एक सुनहली किरण उसे भी दे दो” लेकर आया हूँ और इस कविता को कीर्ति चौधरी (Kirti Choudhary) जी ने लिखा है.

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एक सुनहली किरण उसे भी दे दो | कीर्ति चौधरी | हिंदी कविता
एक सुनहली किरण उसे भी दे दो | कीर्ति चौधरी | हिंदी कविता

एक सुनहली किरण उसे भी दे दो | कीर्ति चौधरी | हिंदी कविता

एक सुनहली किरण उसे भी दे दो।

भटक रहा जो अँधियाली के वन में लेकिन जिसके मन में

अभी शेष है चलने की अभिलाषा

एक सुनहली किरण उसे भी दे दो।

मौन, कर्म में निरत,

बद्ध पिंजर में व्याकुल,

भूल गया जो दुख जतलाने वाली भाषा

उसको भी वाणी के कुछ क्षण दे दो।

तुम जो सजा रहे हो

ऊँची फुनगी पर के ऊर्ध्वमुखी

नव पल्लव पर आभा की किरणें,

तुम जो जगा रहे हो

दल के दल कमलों की आँखों के

सब सोये सपने,

तुम जो बिखराते हो भू पर

राशि-राशि सोना

पथ को उद्भासित करने

एक किरण से

उसका भी माथा उद्भासित कर दो।

एक स्वप्न उसके भी सोये मन में

जागृत कर दो

एक सुनहली किरण उसे भी दे दो।

Conclusion

तो उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारा यह हिंदी कविता “एक सुनहली किरण उसे भी दे दो” अच्छा लगा होगा जिसे कीर्ति चौधरी (Kirti Choudhary) जी ने लिखा है. आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें आप Facebook Page, Linkedin, Instagram, और Twitter पर follow कर सकते हैं जहाँ से आपको नए पोस्ट के बारे में पता सबसे पहले चलेगा. हमारे साथ बने रहने के लिए आपका धन्यावाद. जय हिन्द.

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