नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने हिंदी शायरी (Hindi Poetry) “फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया” लेकर आया हूँ और इस शायरी को मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib) जी ने लिखा है.
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फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया – मिर्ज़ा ग़ालिब – हिंदी शायरी
फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया
दिल जिगर तिशना-ए-फ़रियाद आया
दम लीया था न क्यामत ने हनोज़
फिर तेरा वकते-सफ़र याद आया
सादगी-हाए-तमन्ना, यानी
फिर वो नौरंगे-नज़र याद आया
उज़रे-वा-मांदगी ऐ हसरते-दिल
नाला करता था जिगर याद आया
ज़िन्दगी यों भी गुज़र ही जाती
कयों तेरा राहगुज़र याद आया
क्या ही रिज़वां से लड़ायी होगी
घर तेरा ख़ुलद में गर याद आया
आह वो जुररत-ए-फ़रियाद कहां
दिल से तंग आ के जिगर याद आया
फिर तेरे कूचे को जाता है ख़याल
दिले-गुंमगशता मगर याद आया
कोई वीरानी सी वीरानी है
दशत को देख के घर याद आया
मैंने मजनूं पे लड़कपन में ‘असद’
संग उठाया था कि सर याद आया
Conclusion
तो उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारा यह हिंदी शायरी “फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया” अच्छा लगा होगा जिसे मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib) जी ने लिखा है. आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें आप Facebook Page, Linkedin, Instagram, और Twitter पर follow कर सकते हैं जहाँ से आपको नए पोस्ट के बारे में पता सबसे पहले चलेगा. हमारे साथ बने रहने के लिए आपका धन्यावाद. जय हिन्द.
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