नमस्कार दोस्तों! आज मैं फिर से आपके सामने हिंदी शायरी (Hindi Poetry) “नक्श फरियादी है किसकी शोख़ी-ए-तहरीर का” लेकर आया हूँ और इस शायरी को मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib) जी ने लिखा है.
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नक्श फरियादी है किसकी शोख़ी-ए-तहरीर का – मिर्ज़ा ग़ालिब – हिंदी शायरी
नक्श फरियादी है किसकी शोख़ी-ए-तहरीर का
काग़ज़ी है पैरहन हर पैकर-ए-तसवीर का
कावे-कावे सख़तजानीहा-ए-तनहायी न पूछ
सुबह करना शाम का लाना है जू-ए-शीर का
ज़ज़बा-ए-बेइख़तयारे-शौक देखा चाहीए
सीना-ए-शमशीर से बाहर है दम शमशीर का
आगही दाम-ए-शनीदन जिस कदर चाहे बिछाए
मुद्दआ अंका है अपने आलमे-तकरीर का
बस कि हूं ‘ग़ालिब’ असीरी में भी आतिश ज़ेरे-पा
मूए-आतिश-दीदा है हलका मेरी ज़ंजीर का
Conclusion
तो उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारा यह हिंदी शायरी “नक्श फरियादी है किसकी शोख़ी-ए-तहरीर का” अच्छा लगा होगा जिसे मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib) जी ने लिखा है. आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें आप Facebook Page, Linkedin, Instagram, और Twitter पर follow कर सकते हैं जहाँ से आपको नए पोस्ट के बारे में पता सबसे पहले चलेगा. हमारे साथ बने रहने के लिए आपका धन्यावाद. जय हिन्द.
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